Thursday, 25 April 2019

चुनावी जुमले और बेवकुफ बनती जनता

‘चुनाव सिर पर है और  फिर हर बार की तरह इस बार भी जनता को ठगने का समय आ गया है और जनता  फिर ठगी-ठगाई सी रह जाएगी। हर बार चुनाव में कुछ खास होता है लेकिन इस बार केवल चौर और चौकिदार के जुमले से ही लोकसभा निपट जाएगा।’
देश में गरीबी भुखमरी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के अंत की बात छोड़ इस चुनावी मौषम में जुमलो की और ले जाकर विभिन्न राजनीतिक दल जनता को फिर बातो में उलझा जा रहे है। सरकार का महंगाई दर पर काबु नही है। पड़ा-िलखा नौजवान भी मध्यप्रदेश में पशु हांकने के लिए नामांकन कर रहा है। देश आतंकवाद से जूझ रहा है। आम आदमी परेशान है। गरीब और गरीब और अमीर और अमीर हो  रहा है। देश आर्थिक उन्नती तो कर रहा है लेकिन गरीबी का उन्नमुलन नही हो  रहा है। लोकसभा चुनाव 2019 पप्पु वर्सेस चौकीदार हो गया है। बाकी चुनावी घोषणा-पत्र तो सिर्फ जनता को वेबकुफ बनाने के लिए ही है क्योकि जनता के खाते में काले धन का जब 15 लाख नही आया तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनते ही गरीबों को 72 हजार कैसे आ जाएंगे।
अर्थशास्त्रियों की माने 25 करोड़ लोगों को इस हिसाब से सालाना 3.6 लाख करोड़ देना होगें जो संभव नही होगा। हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वे हर साल राज्य के हर परिवार को 2 लाख रुपये देगेंे।
कुटुम्ब न्यायालय इंदौर ने 12 मार्च को एक भरण पोषण के केस में आंनद शर्मा को आदेश दिया कि वह पत्नि को 3 हजार रूपए प्रतिमाह दे इस पर वह बोला कि राहुल गांधी जैसे ही प्रधानमंत्री बनेगें उसे 6 हजार रूपए सरकार से मिलेंगे। उसमें से 4500 रूपए वह पत्नि को दे देगा जब तक फेसला स्थगित रखे। माननीय न्यायालय का एक तरह से इस बात पर विचार करना चाहिए या फिर 6 नहीं देने पर सरकार पर केस दर्ज करना चाहिए।
बरहाल अभी हम यहां बात कर रहे है चौर और चौकीदार की, एक दम से देश में करोड़ो चौकीदार अवतरित हो गए है। कहते है जब आपका विरोध होने लगे और जिस बात से आपको तंज कसा जाए बस वैसा ही बन जाए तो लोग  फिर आपको वैसा कहना छोड़ देंगे। जैसे एक गवांर को गवांर कहेगें तो उसे बहुत बुरा लगेगा, लेकिन जब बार-बार उस पर तंज कसा जाएगा तो उसे कुछ तो करना पड़ेगा या तो वह समझदार बन जाए या फिर गंवारपन का िडंढोरा पिटने लग जाए तो सब भी अपने आप की बोलती बंद हो जाएगी।
कुछ इस तरह ही इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है जब कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी कई सभाओं में नरेंद्र मोदी को चौकीदार ही चौर है कहा, इस तरह की पोस्ट सोशल मिडिया पर भी बहुत बार देखी गई। िफर क्या चौर और चौकीदार की लड़ाई शुरू हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ  िदनों पूर्व एक विडियो जारी कर कहा कि हर कोई जो भ्रष्टाचार, गंदगी, सामाजिक बुराइयों से लड़ा रहा है, वह एक चौकीदार है.
सीएम योगी ने ट्वीट कर कहा-उत्तर प्रदेश है संकल्पित और मैं तैयार हूँ,
जो प्रेरणा से है बही, विकास की बयार हूँ,
हाँ, मैं भी चौकीदार हूँ...
एक्ट्रेस किरण खेर ने ट्वीट कर कहा-’मैं मां हूं, बहन हूं, प्यार हूं. पर राक्षसों के वध के लिए, शेर पर सवार हूं. मैं भी चौकीदार हूं।
हाँ मैं भी चौकिदार हँू,,,,,,इसी स्लोगन से लोकसभा जितने का सपना फिर से देखा गया है।
 मोदी भक्तो ने भी राहुल गांधी को नहीं छोड़ा इन डायरेक्ट उनके लिए इस्तेमाल किया गया पप्पु शब्द भी फेमस हो गया इस बार संता-बंता से ज्यादा पप्पु पर जॉक ज्यादा बने लगे है।
इस बार चुनाव में हाँ, मैं भी चौकीदार हँू छाया हुआ है, देश में चौकिदाराें की संख्या में अचानक इजाफा हो गया वो भी फ्री के चौकीदार जिन्हें बस एक टोपी पहन कर फोटो िखचाकर ये कहना है हाँ, मैं भी चौकीदार हँू,,, बस यही है मोदी भक्ती।  जहां जक मुझे पता है आज भी गांव में एक चौकीदार होता है जिसका काम गांव की चौकीदारी करना है, मतलब उस गांव में उसके रहते चौरियां नही हो सकती या चौर गांव में दाखिल भी हो जाएं तो उसे वह पकड़कर गावं वालों के हवाले कर दे। और गांव में अपराधो पर नजर रखते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा रहता है। जिसके लिए सरकार ने उन्हें खेती की जमीन भी दे रखी है और मानदेय के रूप में पहले 1500 रूपये पाता था अब इन्हें 2500 रूपए कर दिया गया है। लेकिन सोचने की बात यह है कि इस वास्तविक चौकीदार की स्थति खराब ही है।  लेकिन अब तो करोड़ो लोग चौकीदार हो गए है तो देखना यह है कि देश से भ्रष्टाचार और अपराधों पर ये नए चौकीदार चुनाव बाद कितना असर दिखाते है। या फिर चुनाव निपटने के बाद ये चौकीदारी भी सेवानिवृत्ति ले लेंगे।
वेसे तो सभी जानते है कि ये सब चुनावी भाषण बाजी है जिनका सामाजिक सरोकार से कोई मतलब नहीं है, अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता। जहां एक और देश आंतरिक गृहयुद्ध की ओर है, देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, रिश्वतखोरी, असामाजिक कार्य शिखर पर है। सरकारे अपने फायदे के लिए गरीबों का कर्जा माफी जैसी योजनांए देश से गरीबी दूर नहीं करेगी। गरीबी उन्मूलन के लिए रोजगार चाहिए जो वो नए रोजगार सृजन करने में नाकामयाब रही है।
बेरोजगारी से पर्दा उठाने वाली ‘’स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018’’ के अनुसार देश में युवाओं मे बेरोजगारी की दर 16 फिसद तक है। जिसमें युपी, बिहार और मध्यप्रदेश सबसे उपर है।
सेंटर फोर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 1.10 करोड़ नौकरियां समाप्त हो चुकी है। इस वर्ष बैरोजगारों की संख्या 1.89 करोड़ के आसपास बताई जा रही है।  नौकरियों में जब आरक्षण की बात आती है तो जहन में यही सवाल उठता है कि जब नौकरियां ही नहीं है तो सरकार आरक्षण किसमें देगी। पर यह बात जनता को कहां समझ आती है उसे तो जमाने से ठगा जाता आ रहा है।
और इस बार तो मतदाता इसलिए भी डरा हुआ है कि उस ये बताया जा रहा है कि उसके खाते से वोट नही डालने पर 350 रूपए कट जाएंगे। लेकिन जागरूक मतदाता डरे नहीं ये केवल एक भ्रामक प्रचार है। चुनाव आयोग ने इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया है।
इसलिए वोट अपना वोट जरूर दे और यदि कोई उम्मीदवार पसंद नहीं तो नोटा ही दबा दे।
(एस.सी.के. सूर्योदय)

 SCK Suryodaya 
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

Friday, 15 March 2019

इश्क़ की हवा- वैलेंटाइन डे

प्यार इश्क और मोहब्बत में  बर्बाद है आदमी,
इस बार है जिसकी बारी जाने वो कौन है,,,
वैलेंटाइन डे मतलब एक दूसरे के प्रेम के इजहार का दिन। यह दिन संत वैलेंटाइन की याद में मनाया जाता है जिन्हे 14 फरवरी 299 को फांसी पर कैवल इसलिए चड़ा दिया गया था क्योकि उन्होने राजा के उस फरमान का विरोध  किया था जिसमें सैनिक विवाह नही कर सकते थे। उन्होने रोम के कई सैनिको की शादी करवाई।
वैसे तो प्यार करने वालों के लिए हर दिन खास होता है लेकिन भारत सहित विश्व के कई देशों में इस दिवस को प्रेमी युगलो द्वारा मनाया जाता है। अब हम बात करते है उन प्रेमियों की जिनकी कहानी वैसे तो हर किसी को पता है। इन सच्चे प्रेमियों  की प्रेमगाथा  इतिहास के पन्नों मे स्वर्णाक्षरो से लिखी गई। लैला और मजनूं की प्रेमगाथा, हीर और रांझा की प्रेमगाथा, सोहणी और महीवाल की प्रेमगाथा, सलीम और अनाकली की प्रेमगाथा। इन प्रेमगाथाओं के उपर बनी फिल्में भी अमर हो गई।
मंजनू लैला से इतनी मोहब्बत करता था कि आखिर में वो पागल-पागल सा हो गया। ये पागलपन ही सच्ची मोहब्बत की निशानी है। एक गाना याद  आ रहा है मैं लैला लैला चिल्लाउंगा कुर्ता फाड़ के ये कुर्ता फाड़ना ही पागल पन है। खैर मंजनू लैला के प्यार में पागल होकर भी इतिहास में अपनी प्रेम कहानी को अमर कर गया। दूनियां मे प्रेम को कभी स्वीकारा नहीं गया जबकि यह प्रेम ही इस दूनियां को बचा सकता है वरना बैर तो आज हर किसी के मन मे भरा हुआ है। इसी तरह हिर और रांझा की गाथा भी अथाह प्रेम के सागर में समा गई। हिर की जब अन्यत्र शादी जबरन करा दी गई तो रांझा भी जोगी हो गया। कहते है रांझा हिर से इसी दौरान मिला, दोनो भाग गए घर वालो ने आखिर उनके प्रेम को स्वीकार कर लिया लेकिन चाचा ने हिर को जहर दे दिया।
सोहणी महिवाल की प्रेमगाथा भी अथाह प्रेम की सागर में गोते-लगाते हुए दम तोड़ गई। इनके दु:खद अंत के बावजुद आज भी ये अमर हो गए। सोहणी एक कुम्हारन थी जिसके प्यार में  बुखारा, उजबेकिस्तान का धनी व्यापारी इज्जत बेग भारत जब व्यापार करने आया था तो सोहणी को देखकर उसका ही होकर रह गया। अपना देश छोड़ वो सोहणी के घर भेंस चराने लगा तभी उसका नाम महिवाल पड़ा। खेर इश्क के चर्चे आम होने के बाद सोहणी के पिता ने सोहणी की शादी किसी और से कर दी लेकिन फिर भी दोनो प्रेमी मिलते रहे और एक दिन कच्चे मटके की वजह से पक्का प्यार मोत के आगोश मे समा गया।
कहते है अगर प्यार सच्चा  है तो इस प्यार में अपने प्रियतम के लिए  कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहता है चाहें उसकी जान क्यों ना चली जाए। कुछ इसी तरह शीरीं और फरहाद की प्रेम कहानी में हुआ। प्यार तो प्यार होता है जो ना जाति देखता है, ना धर्म, ना अमीरी-गरीबी और ना ही उम्र। शाहजहां ने तो मुमताज के प्यार में एक अजूबा ही बना दिय।
शीरीं राजकुमारी थी और फरहाद एक शिल्पकार लेकिन उसके प्यार में शिरीं भी दिवानी सी हो गई राजकुमारी के पिता ने फरहाद के आगे शर्त रखी की वो पहाड़ो को काट कर नहर बना दे उसने अपने कार्य अंजाम पर ही था कि फरहाद को शिरीं की मौत की झूठी खबर दी गई। फरहाद ने वहीं खुद को भी मौत के हवाले कर दिया।
इंदीवर द्वार रचित यह गाना जो गजल संम्राट जगजीतसिंह ने गया,
न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन
जब प्यार करे कोई तो देखे अपना मन
नई रीत चलाकर तुम ये रीत अमर कर दो,
होंठों से छूलो तुम
मेरे गीत अमर कर दो।
हाँ बात तो सही है जब प्यार किसी से होता है तो
अच्छे-अच्छे को शायर बना देता है। कई शायरियां, गीत, ख्याल बनने लगते है। जब प्रियतम पास होता है तो हर पल खास हो जाता है। और जब दूिरयां होती है तो प्रियतम की याद में फिर मिलन की आस होती है। जब खुमार इश्क का छाता है तो हर आशिक फना होने के लिए तैयार होता है। प्यार तभी परवान चड़ता है जब दोनो तरफ से होता है। लेकिन आजकल एकतरफा प्यार करने वालों की भरमार है जिससे इस प्यार भरे अहसास का कोई मतलब नहीं रह जाता। माना की किसी को किसी से प्यार है और अगर प्यार है तो सच्चाई के साथ करे। प्यार अगर सच्चा होगा तो एक ना एक दिन जिसकी चाह है वो मिल ही जाएगा।
मेरा वैलेंटाईन तु ही है, साथ है, पास है, सामने है, क्योिक वो हर पल मेरे हर पल में है और यहीं बात खास है, क्योकि प्यार एक ऐसा अहसास है जो रूह तक को तरबतर रखता है।
प्यार  वो हसीन अहसास है जो कभी हसंता है कभी रूलाता है, तन्हाईयों में भी तन्हा ना होता, ख्वाबों को जो हकीकत में जीता है, प्यार के लिए जो कुछ भी करता है, ये वहीं इश्क है जो सबकों होता है, इश्क़ करें पर किसी का दिल ना तोड़े, प्यार का गुलाब महकने दे, वादा करे तो  निभाेये, विश्वास करे तो धोखा ना दे, क्योकिं मौत एक बार मारती है पर बेवफाई हर पल।
एक बात और प्यार का ये रिश्ता सिर्फ विश्वास पर टिका रहता है, वैसे तो हर रिश्ते की बुनीयाद विश्वास ही है, लेकिन यहां विश्वास का मतलब सिर्फ प्रियतम का होने से है, बाहों में कोई ख्यालों मे कोई ये तो गलत बात है ना। पर कुछ लोग है जो सिर्फ धोखा ही देते है, महिनों सालों तक प्रेम प्रसंग चलते है और फिर एक दिन िकसी और का होकर किसी को तन्हा कर जाते है। यहां बेवफाई इसी का कहते है। दे दीया ना धाेखा, तोड़ दिये ना वादे। एक तरफ कोई खुशियों में होता है और कोई गमों के संमंदर में गोते लगाता है वो मानता है नहीं कि उसका प्यार उसका नहीं रहा। जो भी हो जब कोई साथ छोड़ दे, वादे तोड़ दे तो अपनी जिंदगी की नई शुरूआत माने। तन्हा जीए या नया हमसफर बनाए ये स्वयं पर छोड़े। लेकिन यदि कोई जीवन के सफर को कोई मिल जाए सच्चा चाहने वाला केयर करने वाला तो इंकार ना करे।
कहते है प्यार में केवल केयर होती है, कोई एसा केयर करने वाला आ जाए तो अपना ले। क्योकि यदि किसी को आपकी फिक्र रहती है, कि आप किसी तकलिफ में तो नही है, आपकी खुशी के लिए अपनी खुशियां लूटाने वााला ही आपका सच्चा प्यार है। खुशनसीब होते है ऐसे लोग जीनकी
केयर करने वाला होता है। क्योकि वो आपकी सारी तकलिफे खुद ले लेता है। जब प्यार होता है तो
होगी कभी-कभी तकरार भी पर घोर अन्याय ना करते हुए मनाये तो मान जाना । बैवजह भाव ना खाते हुए खफा ही ना रहना। किसी को पा लेना इश्क नहीं किसी के दिल में जगह बनाते हुए उसका हो जाना प्यार है।
(एस.सी.के. सूर्योदय)

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मीठी सी खुशी

एक सुहानी शाम सबसे अंजान, अधीर मन में सिर्फ़ तेरा इंतज़ार। तेरे लब की मीठी सी खुशी देना, आकार मेरे पास फिर ना जाना। बिखरकर ब...