‘चुनाव सिर पर है और फिर हर बार की तरह इस बार भी जनता को ठगने का समय आ गया है और जनता फिर ठगी-ठगाई सी रह जाएगी। हर बार चुनाव में कुछ खास होता है लेकिन इस बार केवल चौर और चौकिदार के जुमले से ही लोकसभा निपट जाएगा।’
देश में गरीबी भुखमरी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के अंत की बात छोड़ इस चुनावी मौषम में जुमलो की और ले जाकर विभिन्न राजनीतिक दल जनता को फिर बातो में उलझा जा रहे है। सरकार का महंगाई दर पर काबु नही है। पड़ा-िलखा नौजवान भी मध्यप्रदेश में पशु हांकने के लिए नामांकन कर रहा है। देश आतंकवाद से जूझ रहा है। आम आदमी परेशान है। गरीब और गरीब और अमीर और अमीर हो रहा है। देश आर्थिक उन्नती तो कर रहा है लेकिन गरीबी का उन्नमुलन नही हो रहा है। लोकसभा चुनाव 2019 पप्पु वर्सेस चौकीदार हो गया है। बाकी चुनावी घोषणा-पत्र तो सिर्फ जनता को वेबकुफ बनाने के लिए ही है क्योकि जनता के खाते में काले धन का जब 15 लाख नही आया तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनते ही गरीबों को 72 हजार कैसे आ जाएंगे।
अर्थशास्त्रियों की माने 25 करोड़ लोगों को इस हिसाब से सालाना 3.6 लाख करोड़ देना होगें जो संभव नही होगा। हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वे हर साल राज्य के हर परिवार को 2 लाख रुपये देगेंे।
कुटुम्ब न्यायालय इंदौर ने 12 मार्च को एक भरण पोषण के केस में आंनद शर्मा को आदेश दिया कि वह पत्नि को 3 हजार रूपए प्रतिमाह दे इस पर वह बोला कि राहुल गांधी जैसे ही प्रधानमंत्री बनेगें उसे 6 हजार रूपए सरकार से मिलेंगे। उसमें से 4500 रूपए वह पत्नि को दे देगा जब तक फेसला स्थगित रखे। माननीय न्यायालय का एक तरह से इस बात पर विचार करना चाहिए या फिर 6 नहीं देने पर सरकार पर केस दर्ज करना चाहिए।
बरहाल अभी हम यहां बात कर रहे है चौर और चौकीदार की, एक दम से देश में करोड़ो चौकीदार अवतरित हो गए है। कहते है जब आपका विरोध होने लगे और जिस बात से आपको तंज कसा जाए बस वैसा ही बन जाए तो लोग फिर आपको वैसा कहना छोड़ देंगे। जैसे एक गवांर को गवांर कहेगें तो उसे बहुत बुरा लगेगा, लेकिन जब बार-बार उस पर तंज कसा जाएगा तो उसे कुछ तो करना पड़ेगा या तो वह समझदार बन जाए या फिर गंवारपन का िडंढोरा पिटने लग जाए तो सब भी अपने आप की बोलती बंद हो जाएगी।
कुछ इस तरह ही इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है जब कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी कई सभाओं में नरेंद्र मोदी को चौकीदार ही चौर है कहा, इस तरह की पोस्ट सोशल मिडिया पर भी बहुत बार देखी गई। िफर क्या चौर और चौकीदार की लड़ाई शुरू हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ िदनों पूर्व एक विडियो जारी कर कहा कि हर कोई जो भ्रष्टाचार, गंदगी, सामाजिक बुराइयों से लड़ा रहा है, वह एक चौकीदार है.
सीएम योगी ने ट्वीट कर कहा-उत्तर प्रदेश है संकल्पित और मैं तैयार हूँ,
जो प्रेरणा से है बही, विकास की बयार हूँ,
हाँ, मैं भी चौकीदार हूँ...
एक्ट्रेस किरण खेर ने ट्वीट कर कहा-’मैं मां हूं, बहन हूं, प्यार हूं. पर राक्षसों के वध के लिए, शेर पर सवार हूं. मैं भी चौकीदार हूं।
हाँ मैं भी चौकिदार हँू,,,,,,इसी स्लोगन से लोकसभा जितने का सपना फिर से देखा गया है।
मोदी भक्तो ने भी राहुल गांधी को नहीं छोड़ा इन डायरेक्ट उनके लिए इस्तेमाल किया गया पप्पु शब्द भी फेमस हो गया इस बार संता-बंता से ज्यादा पप्पु पर जॉक ज्यादा बने लगे है।
इस बार चुनाव में हाँ, मैं भी चौकीदार हँू छाया हुआ है, देश में चौकिदाराें की संख्या में अचानक इजाफा हो गया वो भी फ्री के चौकीदार जिन्हें बस एक टोपी पहन कर फोटो िखचाकर ये कहना है हाँ, मैं भी चौकीदार हँू,,, बस यही है मोदी भक्ती। जहां जक मुझे पता है आज भी गांव में एक चौकीदार होता है जिसका काम गांव की चौकीदारी करना है, मतलब उस गांव में उसके रहते चौरियां नही हो सकती या चौर गांव में दाखिल भी हो जाएं तो उसे वह पकड़कर गावं वालों के हवाले कर दे। और गांव में अपराधो पर नजर रखते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा रहता है। जिसके लिए सरकार ने उन्हें खेती की जमीन भी दे रखी है और मानदेय के रूप में पहले 1500 रूपये पाता था अब इन्हें 2500 रूपए कर दिया गया है। लेकिन सोचने की बात यह है कि इस वास्तविक चौकीदार की स्थति खराब ही है। लेकिन अब तो करोड़ो लोग चौकीदार हो गए है तो देखना यह है कि देश से भ्रष्टाचार और अपराधों पर ये नए चौकीदार चुनाव बाद कितना असर दिखाते है। या फिर चुनाव निपटने के बाद ये चौकीदारी भी सेवानिवृत्ति ले लेंगे।
वेसे तो सभी जानते है कि ये सब चुनावी भाषण बाजी है जिनका सामाजिक सरोकार से कोई मतलब नहीं है, अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता। जहां एक और देश आंतरिक गृहयुद्ध की ओर है, देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, रिश्वतखोरी, असामाजिक कार्य शिखर पर है। सरकारे अपने फायदे के लिए गरीबों का कर्जा माफी जैसी योजनांए देश से गरीबी दूर नहीं करेगी। गरीबी उन्मूलन के लिए रोजगार चाहिए जो वो नए रोजगार सृजन करने में नाकामयाब रही है।
बेरोजगारी से पर्दा उठाने वाली ‘’स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018’’ के अनुसार देश में युवाओं मे बेरोजगारी की दर 16 फिसद तक है। जिसमें युपी, बिहार और मध्यप्रदेश सबसे उपर है।
सेंटर फोर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 1.10 करोड़ नौकरियां समाप्त हो चुकी है। इस वर्ष बैरोजगारों की संख्या 1.89 करोड़ के आसपास बताई जा रही है। नौकरियों में जब आरक्षण की बात आती है तो जहन में यही सवाल उठता है कि जब नौकरियां ही नहीं है तो सरकार आरक्षण किसमें देगी। पर यह बात जनता को कहां समझ आती है उसे तो जमाने से ठगा जाता आ रहा है।
और इस बार तो मतदाता इसलिए भी डरा हुआ है कि उस ये बताया जा रहा है कि उसके खाते से वोट नही डालने पर 350 रूपए कट जाएंगे। लेकिन जागरूक मतदाता डरे नहीं ये केवल एक भ्रामक प्रचार है। चुनाव आयोग ने इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया है।
इसलिए वोट अपना वोट जरूर दे और यदि कोई उम्मीदवार पसंद नहीं तो नोटा ही दबा दे।
(एस.सी.के. सूर्योदय)
SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com
देश में गरीबी भुखमरी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार के अंत की बात छोड़ इस चुनावी मौषम में जुमलो की और ले जाकर विभिन्न राजनीतिक दल जनता को फिर बातो में उलझा जा रहे है। सरकार का महंगाई दर पर काबु नही है। पड़ा-िलखा नौजवान भी मध्यप्रदेश में पशु हांकने के लिए नामांकन कर रहा है। देश आतंकवाद से जूझ रहा है। आम आदमी परेशान है। गरीब और गरीब और अमीर और अमीर हो रहा है। देश आर्थिक उन्नती तो कर रहा है लेकिन गरीबी का उन्नमुलन नही हो रहा है। लोकसभा चुनाव 2019 पप्पु वर्सेस चौकीदार हो गया है। बाकी चुनावी घोषणा-पत्र तो सिर्फ जनता को वेबकुफ बनाने के लिए ही है क्योकि जनता के खाते में काले धन का जब 15 लाख नही आया तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनते ही गरीबों को 72 हजार कैसे आ जाएंगे।
अर्थशास्त्रियों की माने 25 करोड़ लोगों को इस हिसाब से सालाना 3.6 लाख करोड़ देना होगें जो संभव नही होगा। हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वे हर साल राज्य के हर परिवार को 2 लाख रुपये देगेंे।
कुटुम्ब न्यायालय इंदौर ने 12 मार्च को एक भरण पोषण के केस में आंनद शर्मा को आदेश दिया कि वह पत्नि को 3 हजार रूपए प्रतिमाह दे इस पर वह बोला कि राहुल गांधी जैसे ही प्रधानमंत्री बनेगें उसे 6 हजार रूपए सरकार से मिलेंगे। उसमें से 4500 रूपए वह पत्नि को दे देगा जब तक फेसला स्थगित रखे। माननीय न्यायालय का एक तरह से इस बात पर विचार करना चाहिए या फिर 6 नहीं देने पर सरकार पर केस दर्ज करना चाहिए।
बरहाल अभी हम यहां बात कर रहे है चौर और चौकीदार की, एक दम से देश में करोड़ो चौकीदार अवतरित हो गए है। कहते है जब आपका विरोध होने लगे और जिस बात से आपको तंज कसा जाए बस वैसा ही बन जाए तो लोग फिर आपको वैसा कहना छोड़ देंगे। जैसे एक गवांर को गवांर कहेगें तो उसे बहुत बुरा लगेगा, लेकिन जब बार-बार उस पर तंज कसा जाएगा तो उसे कुछ तो करना पड़ेगा या तो वह समझदार बन जाए या फिर गंवारपन का िडंढोरा पिटने लग जाए तो सब भी अपने आप की बोलती बंद हो जाएगी।
कुछ इस तरह ही इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है जब कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी कई सभाओं में नरेंद्र मोदी को चौकीदार ही चौर है कहा, इस तरह की पोस्ट सोशल मिडिया पर भी बहुत बार देखी गई। िफर क्या चौर और चौकीदार की लड़ाई शुरू हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ िदनों पूर्व एक विडियो जारी कर कहा कि हर कोई जो भ्रष्टाचार, गंदगी, सामाजिक बुराइयों से लड़ा रहा है, वह एक चौकीदार है.
सीएम योगी ने ट्वीट कर कहा-उत्तर प्रदेश है संकल्पित और मैं तैयार हूँ,
जो प्रेरणा से है बही, विकास की बयार हूँ,
हाँ, मैं भी चौकीदार हूँ...
एक्ट्रेस किरण खेर ने ट्वीट कर कहा-’मैं मां हूं, बहन हूं, प्यार हूं. पर राक्षसों के वध के लिए, शेर पर सवार हूं. मैं भी चौकीदार हूं।
हाँ मैं भी चौकिदार हँू,,,,,,इसी स्लोगन से लोकसभा जितने का सपना फिर से देखा गया है।
मोदी भक्तो ने भी राहुल गांधी को नहीं छोड़ा इन डायरेक्ट उनके लिए इस्तेमाल किया गया पप्पु शब्द भी फेमस हो गया इस बार संता-बंता से ज्यादा पप्पु पर जॉक ज्यादा बने लगे है।
इस बार चुनाव में हाँ, मैं भी चौकीदार हँू छाया हुआ है, देश में चौकिदाराें की संख्या में अचानक इजाफा हो गया वो भी फ्री के चौकीदार जिन्हें बस एक टोपी पहन कर फोटो िखचाकर ये कहना है हाँ, मैं भी चौकीदार हँू,,, बस यही है मोदी भक्ती। जहां जक मुझे पता है आज भी गांव में एक चौकीदार होता है जिसका काम गांव की चौकीदारी करना है, मतलब उस गांव में उसके रहते चौरियां नही हो सकती या चौर गांव में दाखिल भी हो जाएं तो उसे वह पकड़कर गावं वालों के हवाले कर दे। और गांव में अपराधो पर नजर रखते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा रहता है। जिसके लिए सरकार ने उन्हें खेती की जमीन भी दे रखी है और मानदेय के रूप में पहले 1500 रूपये पाता था अब इन्हें 2500 रूपए कर दिया गया है। लेकिन सोचने की बात यह है कि इस वास्तविक चौकीदार की स्थति खराब ही है। लेकिन अब तो करोड़ो लोग चौकीदार हो गए है तो देखना यह है कि देश से भ्रष्टाचार और अपराधों पर ये नए चौकीदार चुनाव बाद कितना असर दिखाते है। या फिर चुनाव निपटने के बाद ये चौकीदारी भी सेवानिवृत्ति ले लेंगे।
वेसे तो सभी जानते है कि ये सब चुनावी भाषण बाजी है जिनका सामाजिक सरोकार से कोई मतलब नहीं है, अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता। जहां एक और देश आंतरिक गृहयुद्ध की ओर है, देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, रिश्वतखोरी, असामाजिक कार्य शिखर पर है। सरकारे अपने फायदे के लिए गरीबों का कर्जा माफी जैसी योजनांए देश से गरीबी दूर नहीं करेगी। गरीबी उन्मूलन के लिए रोजगार चाहिए जो वो नए रोजगार सृजन करने में नाकामयाब रही है।
बेरोजगारी से पर्दा उठाने वाली ‘’स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018’’ के अनुसार देश में युवाओं मे बेरोजगारी की दर 16 फिसद तक है। जिसमें युपी, बिहार और मध्यप्रदेश सबसे उपर है।
सेंटर फोर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 1.10 करोड़ नौकरियां समाप्त हो चुकी है। इस वर्ष बैरोजगारों की संख्या 1.89 करोड़ के आसपास बताई जा रही है। नौकरियों में जब आरक्षण की बात आती है तो जहन में यही सवाल उठता है कि जब नौकरियां ही नहीं है तो सरकार आरक्षण किसमें देगी। पर यह बात जनता को कहां समझ आती है उसे तो जमाने से ठगा जाता आ रहा है।
और इस बार तो मतदाता इसलिए भी डरा हुआ है कि उस ये बताया जा रहा है कि उसके खाते से वोट नही डालने पर 350 रूपए कट जाएंगे। लेकिन जागरूक मतदाता डरे नहीं ये केवल एक भ्रामक प्रचार है। चुनाव आयोग ने इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया है।
इसलिए वोट अपना वोट जरूर दे और यदि कोई उम्मीदवार पसंद नहीं तो नोटा ही दबा दे।
(एस.सी.के. सूर्योदय)
SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

