Thursday, 16 November 2017

मानसिक स्वास्थ्य जरूरी है वरना शरीर अस्वस्थ

हमारा शरीर एक ऐसी मशीन है जिसके जागते सोते कोई ना कोई पार्ट कार्यरत रहते है। उसमें एक महत्वपूर्ण अंग है दिमाग। जो नींद की अवस्था में भी कार्यरत रहता है। जब हम मानसिक तनाव में रहते है तो यह तनाव हमारे दिमाग को भी विचलित करता है। हमारी सोच से दिमाग में भी हलचल होती है जो हमें अलग विचारों की और ले जाते है जो सदेव नकारात्मक होते है और ऐसे समय अगर तनाव से नही निकले तो आत्महत्या जेसे विचारों का जन्म हो जाता है, इसलिये जब भी कोई दुविधा या समस्या हो तो उसका हल निकालने की कोशिश करें, स्वयं ना निकाल पायें तो अपने परिवार जनों, मित्रों को बात बतायें। जब हम मानसिक तनाव में रहते है तो हमारे शरीर की अन्य अंगो पर भी इसका सीधा असर पड़ता है। 
इन्सान की सोच का उसके आचरण और काम पर भी प्रभाव पड़ता है जब वह मानसिक तनाव में होता है तो उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है।
सोच और आचरण का रिश्ता ऐसा है, जैसे बैल और बैलगाड़ी का, जिधर बैल जाएगा, उधर गाड़ी भी जाएगी। दिमाग़ एक बाग़ की तरह होता है। जब उसकी देख-भाल नहीं की जाती तो उसमें बिगाड़ पैदा हो जाता है। नकारात्मक सोचों के साथ रचनात्मक और सकारात्मक काम नहीं हो सकता। जब हम खुशी में होते है तो हमारा मानसिक स्वास्थ्य (भी अच्छा रहता है और हम मानसिक प्रदूषण भी नहीं फैलाते।
टोह लेने, भ्रम, ग़लत धारणा आदि बुरी बातों को हमें नापसन्द करना चाहिए है। हम इनसे बचते हैं तो मानसिक व नैतिक स्तर पर सेहतमन्द रहते हैं।
जब हम बुरी खबर सुनते है तो अचानक से कभी-कभी हमारे सारे हावभाव परिवर्तित हो जाते है, मानसिक तनाव कई बिमािरयों का घर है जिसमें अनिंद्रा, पक्षाघात, ह्दयघात आदि मुुख्य है।
अत: जब हम अपने आप को विभिन्न तनाओं से मुक्त कर लेते है तो हमारा दिमाग भी शांत होकर नये, सार्थक विचारों के साथ हमारे शरीर के अन्य अंगों को सकारात्मक उर्जा से भर देता है। इसलिये बुरी यादों को भुलें और इस जिवन को आनन्द के साथ जिये,,,,,,,


SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
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