बचपन से देखता आया हॅू,
पापा को परिश्रम करते,,,
पर उनके जितना,
मैंं कभी ना कर पाया,,,
पढ़ना-लिखना-बोलना,,,
सबकुछ उनसे ही सीखा,,,
आज मैं पिता तो बन गया,
पर पापा जैसा ना बन पाया,,,
उन्होनें मेरा भविष्य सोचकर,
अपना वर्तमान मुझे दिया,,,
प्यार दिया, होंसला दिया,,,
उनकी कमाई पर, ऐस किया,,,
जब मेरी कमाई की बारी आई,
तो कुछ ज्यादा बचा ना पाया,,,
अपनी बिटीयाँ की जिद में,,,
अपनी जिद नजर आती है,,,
पापा की शिक्षा, उनके संस्कार,
उनके आदर्श, उनकी बातें,
आज समझ आई,,,
क्यों डरते थे देर तक घर से,
बाहर रहने पर,,,
जब आज बिटियाँ घर से बाहर
होती है तो मन बैचेन रहता है,,
पापा पापा ही होते है,,, शायद,
किसी दिन पापा जैसा बन पाऊं,
और अपना पिता धर्म निभाऊं,,
पापा को परिश्रम करते,,,
पर उनके जितना,
मैंं कभी ना कर पाया,,,
पढ़ना-लिखना-बोलना,,,
सबकुछ उनसे ही सीखा,,,
आज मैं पिता तो बन गया,
पर पापा जैसा ना बन पाया,,,
उन्होनें मेरा भविष्य सोचकर,
अपना वर्तमान मुझे दिया,,,
प्यार दिया, होंसला दिया,,,
उनकी कमाई पर, ऐस किया,,,
जब मेरी कमाई की बारी आई,
तो कुछ ज्यादा बचा ना पाया,,,
अपनी बिटीयाँ की जिद में,,,
अपनी जिद नजर आती है,,,
पापा की शिक्षा, उनके संस्कार,
उनके आदर्श, उनकी बातें,
आज समझ आई,,,
क्यों डरते थे देर तक घर से,
बाहर रहने पर,,,
जब आज बिटियाँ घर से बाहर
होती है तो मन बैचेन रहता है,,
पापा पापा ही होते है,,, शायद,
किसी दिन पापा जैसा बन पाऊं,
और अपना पिता धर्म निभाऊं,,
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