Monday, 28 November 2016

Cashless India

भारत में सेकड़ों योजनाओं एवं परियोजनाओं का चलन है लेकिन फिर भी इनका लाभ आम भारतीय नागरीक की पंहुच से परे है। कारण साफ है भरपूर भ्रष्टाचार जिस पर लगाम कसने वाले ही इसके फलने-फूलने के जिम्मेदारी उठाते है जो एक ऐसी जमीन तैयार करते है जिसमें भ्रष्टाचार की खेती गाजरघास की तरह लहराती है। कुछ लोगों को इससे एलर्जी है पर वे भी एन्टीएलर्जी लेेकर रास्ते से हट जाते है कुछ लोग इसे काटने या जड़ से उखाड़ फेकने का दावा करते है पर वे ये नहीं जानते ये भ्रष्टाचार है बाबु इसे उखाड़ फेकना इतना आसान नहीं है लेकिन परिवर्तन प्रकृृति का नियम है, जो बना है वो फना है तो भ्रष्टाचार किस खेत की मूली है। आम जन के विकास के लिए बनी कई योजनाओं-परियोजनाओं को मूर्तरूप में हमे ही लाना होगा। इसके लिए बस इमानदान बने, अपनी लड़ाई अहिंसा के मार्ग पर चलकर लड़े। कहते है इमनदारी के साथ किये गये कार्य को उसकी मंजील मिल ही जाती है। परिवर्तन तो जरूर होता है, कुछ परिवर्तन होने  की लम्बी प्रक्रिया है। सबके होंस उड़ाने वाला नोटबंदी का फेसला स्वागत योग्य रहा। पर क्या इतना करने से ही सबकुछ ठीक हो जायेगा। गरीब तो फिर भी गरीब ही रहेगा उसे कोई फर्क नहीं पड़ा बस कुछ परेषानियां जरूर उठानी पड़ रही है। लेकिन निचले स्वर में उसे यह स्वीकार है अब जिन्हे स्वीकार नहीं है वो ही इस फेसले के खिलाफ उचे स्वर में चिल्ला रहे है। तो क्यों ना एक कदम और आगे बढ़ाते हुए क्यों ना भारत में प्रचलित सभी भारतीय मुद्रा नोट एवं सिक्कों का चलन समाप्त कर केशलेस भारत के निर्माण का आगाज कर दिया जाए।
इस महत्वपूर्ण बदलाव से भ्रष्टाचार, आंतकवाद, जबरन वसुली, मानव तस्करी, चोरो से सुरक्षा, हत्याए, लुट, घोटालों आदि कई राष्ट्रविरोधी एवं सामाजिक बुराईयों का अंत हो सकता है। क्यों ना भारत फिर विश्वगुरू बना दिया जायें। तो फिर क्यों ना प्रचलित सभी करन्सी बंद की दी जाय। केशलेस इंडिया की यही है अवधारणा जो भी लेन-देन हो केशलेस हो और यही है डिजीटल इण्डिया। डिजिटल इण्डिया का जो सपना देखा जा रहा है वह केशलेस इण्डिया से ही साकार हो सकता है। यह एक बहुत बढ़ा कदम होगा। फिलहाल सुनने में आ रहा है कि गोवा देष का पहला केषलेस राज्य बनने जा रहा है। वेसे आपको बता दे इस दिशा में स्वीडन, सोमालीलेण्ड, केन्या, कनाड़ा, दक्षिण कोरिया भी केशलेस देश बनने जा रहे है। तो क्यो ना हम इस और कारगार कदम उठायें।
अब सवाल यह उठता है कि क्या ऐसा हो सकता है और यदि यह संभव है तो इससे राष्ट्र एवं आम भारतीय नागरीक को क्या लाभ एवं हानी होगी। फायदे-नुकसान की आगे बात करेंगें पहले इस सवाल का जवाब भी मिलना चाहिए जो प्रारंभीक तोर पर हक एक के मनोविचार में रहेगा कि ऐसा कतैय संभव नहीं हो सकता। अब ऐसा हो ही नहीं सकता विचारक तबका कोनसा है यह जान लेना जरूरी है या तो वह या तो भ्रष्टाचारी होगा या अज्ञानी। अज्ञानी को तो केशलेस के फायदे समझाकर उसे परिवर्तन की इस प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है लेकिन भ्रष्टाचारियों को यह किसी भी प्रकार से स्वीकार नहीं होगा क्योकि उसके ज्ञानकोष में उसके आर्थिक हानि के विचार को कही भी स्थान नहीं मिलेगा। तो ऐसे लोगों द्वारा चिल्लाना लाजमी है। लेकिन क्या इन चंद लोगों के हो-हल्ले के कारण करोड़ों भारतीयों की उन्नती के लिए केषलेस इण्डिया की विचारधारा सार्थक रूप नहीं ले सकती।
हम क्यों ना राष्ट्र के प्रति सकारात्मक परिवर्तनों की प्रक्रिया स्वीकार करें। हाल ही में हुए नोट बंदी ने देश को भरपुर टेक्स दिया लेकिन कई डिफाल्टरों के कानों में झूः तक नहीं रेंगी।
तिजोंरियो, टकीयों एवं बिस्तर के निचे रखा धन सामने आया जिसकें कारण कुछ कालेधन के बड़े आसामी तो इस जाल में ऐसे फसें है कि उनके लिए इन मूर्दा नोटो को दफनाने एवं जलाने के अलावा कोई चारा नजर नहीं आ रहा है। जहां तक नोटबंदी का सवाल है यह तो बहुत पहले हो जाना था, ठीक है देर से ही सही कुछ तो नया हुआ। आमजन को कुछ परेशानियां हुई पर अब सबने इसे अपना ही लिया। लेकिन अब सवाल यह भी है कि क्या फिर से नये 2000 एवं 500 की शक्ल लिए जाली नोट कही छपकर भारतीय मुद्रा का 20 से 30 प्रतिशत बन ही जाएगा।
भारत पाकिस्तान के तनाव बढ़ते जा रहे है, वैसे जो जिस पाकिस्तान के पास अपनी खुद की मुद्रा से ज्यादा जाली भारतीय करंसी उपलब्ध हो वह इतनी जल्दी कैसे आंतकवादी गतिविधियों को विराम दे देगा। चर्चाए आम है कि काला धन सफेद करने के लिए नये नये तरीकों को खोजा जा रहा है जिसके लिए एक कदम भोले-भाले उन गरीब लोगो को निशाना बनाया जा रहा है जिनकें खातों वर्षो से शून्य थे अब अचानक उन्हें लखपति दर्षा रहें है। खेर सरकार ने इसके लिए भी कुछ सोच रखा हैं 
एक बात तो है गरीबों ने बहुत दिनों बाद अच्छी मजदूरी मिली थी बैंक की लाईन में महज खड़े रहने की। कुछ ऐसे भी गरीब थे जिन्होने लाखों रूपये नहीं देखे थे पर अपने खातों में खुद को लखपति महसुस किया है। लेकिन वह तो गरीब है उसने कोई बईमानी नहीं की। 
हम यहां किसी वर्ग विशेष की बात नहीं सम्पूर्ण राष्ट्र की बात कर रहे है। भारत में 100 प्रतिशत केशलेसप्रणाली का निर्माण ही भारत की आर्थिक उन्नती करेगा। जहां रिश्वतखोर रिश्वत ले पाएगा ना ही भ्रष्टाचारी कालाधन जमा कर पायेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृृढ़ करने के लिए यह एक ऐसा ऐतिहासिक, सार्थक, साहसी कदम होगा जो विश्व पटल पर अमिट होगा।
केशलेस को समझना बहुत आसान है, एक छोटा सा उदाहरण, मान लिजिए आपके बैंक खाते में जो रूपयें जमा है बैंक एप से रिचार्ज कर सकते है, यह नेटबैंकिंग भी कहलाती है जहां आप सभी तरह के बिलों का भुगतान भी कर सकते है। दूसरा उदाहरण आपने किराने की दुकान से कुछ खरीदा है उसका भुगतान क्रेडिट कार्ड या डेबिट से पीओएस मषीन से करें अब तो लगभग सभी दूकानदारों ने इस मशीन का प्रयोग प्रारंभ कर दिया है। 
केशलेस प्रणाली को कैसे लागू किया जा सकता है इस सवाल से पहले हमकेशलेस के फायदे नुकसान की बात करे लेेते है।
नुकसानः कुछ भी नहीं लेकिन नुकसान दूसरी भाषा में कुछ इस तरह, भ्रष्टाचारियों को, अपनी तिजोरियों में कालाधन जमा करने वालों को, रिश्वतखारों को, ब्याजखोरों को, आंतकवादियों, हवाला व्यपारियों को,
फायदेः प्रत्येक भारतीय नागरीक को, कैसे, किसी भी इमानदार भारतीय नाकगरी से पुछ लिजिए रिष्वत कोन ले रहा है ? जवाब यही मिलेगा-शासकीय/प्रशाासकिय कर्मचारी/अधिकारी व कुछ प्रायवेट सेक्टर में भी। केशलेस प्रणाली लागु होने से कालाधन पकड़ में आया , रिश्वत पर बेन लग जाएगा, लुट एवं चोरी की घटनाएं न के बराबर होगी, आंतकवाद निष्क्रीय या समाप्त ही हो जायेगा। बस इससे पहले करना यह होगाः प्रत्येक भारतीय नागरीक का बैंक में खाता हो इसके लिए बैंर्कस को वेलिड डाक्यूमेंट की जांच होम वेरिफिकेशन तक करनी होगी। बैंकों का पुनः राष्ट्रीयकरण करना होगा। ग्रामिण स्तर पर बैंको स्थापित करना होगा। प्रत्येक भारतीय नागरीक का यूनिक आईडी हो जो सरकार के पोर्टल पर आॅनलाईन हो तथा बैंक खाते से लिकंेज हो। प्रत्येक भारतीय साक्षर हो िजसके लिए युवाओं को ही आगे आना होगा, हर घर मे कोई ना कोई इतना तो पड़ा-लिखा होता है जो अपने इस ज्ञान को अपने घर अपने मोहल्लें और गांव के उन लोगों तक पंहुचा सकता है जिन्हेंं अक्षर ज्ञान भी नहींं होता। इस प्रक्रिया मंे िशक्षित महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अर्थात भारत में 100 प्रतिषत साक्षरता हो। 
केशलेस प्रणाली से भारत आर्थिक रूप से शसक्त होगा। भारत में आतंकवादी गतिविधिया समाप्त होगी क्योंकि फिलहाल आतंकवादी कहा घुम रहा है किस वेषभूषा में हे कोई नहीं जानता क्योकि केवल चहरा देखकर उसकी संदीग्धता का पता नहीं चल सकता। उसके पास किसी आसानी से भारतीय मुद्रा उपलब्ध हो सकती है इसका दाहरण 22 नवम्बर 2016 को कश्मीर के बाडीपोरा में मुठभेड़ में सेना द्वारा मार गिराये 2 आतंकवादियों के पास नये नोटों की उपलब्धता ही काफी थी। केशलेस प्रणाली इन आंतकवादियों के चेनल को पूर्णरूप से समाप्त कर देगी क्योंकि उनकी समस्त गतिविधियां भारतीय करंसी के सहारे है जो राष्ट्र के अंदर उन्हे यही के कुछ देशद्रोही आसानी से उपलब्ध करा रहे है। केशलेस के बाद डर से ही सही वों उन्हे मदद नहीं कर पायेगें क्योकि आॅनलाईन ट्रांजेक्शन किसी के खाते से तो होगा। क्योंकि यूनिक आईडी का बैंक खाते से लिंकेज होने पर कोई भी देशद्रोही किसी भी तरह से राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने से डरेगा। वैसे यदि बैंक चाहे तो क्रेेडिट या डेबिट कार्ड में नेनो चिप का इस्तेमाल कर सकती है ताकि कार्ड चोरी होने पर भी चोर का पता उसकी लोकेशन से लगाया जा सके। क्यो केशलेस होेने के बाद चोरी करने लायक कार्ड ही होगा। यूनिक आईडी एवं बैंक तथा आयकर विभाग के पेनी नजर भारत कभी घोटाले नहीं होने देगी।
लेकिन अब सवाल यह उठता है कि लिंक फेल होने या सेंध लगने  पर क्या होगा तो इससे निपटने के लिए शायद भारत को नया मंत्रालय ही बनाना पड़े जो संभव है। वेसे चेक का उपयोग भी प्रचलन में होगा। जहां प्रारंभीग तोर पर स्वीप मशीने नहीं उपयोग में लाई जाये वहां चेक से भुगतान करना कोई कठीन नहीं। केशलेस होने से प्रत्येक ट्रांजेक्शन बैंक से ही होगा। रूपये चोरी भी होेंगे तो जाएगा कहां किसी ना किसी बैंक खाते में तो जमा होगा ही।
अब यदि उस रूपयें का इस्तेमाल किसी खरीदारी में भी हुआ तो भी जानकारी तो मिल ही जाएगी। चौर बचकर जाएगा कहां। वैसे कई जगह आॅनलाईन खरीदारी भी आॅटोमेटिक होती जा रही है तो क्यों ना ई-काॅमर्स को और अधिक अपनाया जाए। क्यो ना आधुनिक युक के बाद का युक डिजीटल युग कहलाये।
देश की तरक्की तभी संभव है जब निजी क्षेत्र  में निवेश बढे़ेगा। गरिबी तभी मिटेगी जब गरीबों का बैंक खाता हो तथा लघु एवं सूक्ष्म उद्योग स्थापना के लिए उन्हे आसानी से ऋण उपलब्ध हो। केषलेस प्रणाली के साथ ही गरीबों को लगभग 1 लाख का लोन तथा एक लाख की क्रेडिट लिमिट दी जानी चाहिए।
अंत मेंः केशलेस प्रणाली लागु हो या ना हो लेकिन 1000 एवं 500 के नोट अचानक महज कागज के टूकड़े होने का सरकार का फेसला लोगों को इतना तो समझा गया है कि वर्तमान सरकार कुछ भी कर सकती है तो क्यो ना बदलाव की इस प्रक्रिया को अभी से आत्मसात करे ले।

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

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