एक सुहानी शाम सबसे अंजान,
अधीर मन में सिर्फ़ तेरा इंतज़ार।
तेरे लब की मीठी सी खुशी देना,
आकार मेरे पास फिर ना जाना।
बिखरकर बांहों में फिर बेखबर,
करेंगे खूबसूरत बाते फिर रातभर।
कुछ ऐसा करना की भूलें ना मंज़र,
जीना है मुझे तेरी सांसों को पीकर।
मौसम भी है आज तुझसा हसीन,
आकर प्यासे इस मन को त्रप्त कर।
आ जावो ना अब बहुत हुआ इंतज़ार,
कर लेने दो आज प्यार जी भर कर।
-राजवीर सूर्योदय
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