इस खफ़ा-खफ़ा इश्क़ में ख़ताएं भी कई है,
कोई था मेरा भी बहुत ख़ास पर अब नहीं है।
जिक्र उसका अब हम क्या करें, जूल्म कई है,
बदल लिया रास्ता, जिसकी मंजिल नहीं है।
छोड़ दिया मुझे क्योकी आशिक उसके कई है
साथ चलना था पर अब कोई अरमान नहीं है।
बचा क्या अब कहानी यह भी खत्म हो गई है,
सुकून था जिसके साथ रहने से, पर अब नही है।
मुझे नहीं आता बया करना दर्द भरी बाते कई है,
मुझे नहीं आता बया करना दर्द भरी बाते कई है,
चहरे पर मरती है वो यहां इश्क़ की कदर नहीं है।
-राजवीर सूर्योदय

No comments:
Post a Comment