Thursday, 30 November 2017

मेरी प्यारी बिटियाँ परी रानी

मेरी प्यारी बिटियाँ परी रानी,,,
जिंदगी की राह नही आसन,,,
हर कदम पर होता है इम्तिहान,,,
जब खुशियाँ होती है 
हमारे पास,,,
दुखी हो जाते है कुछ लोग,,
हमे खुशियों में जान,,,
अगर जिंदगी को जीना है,,,
तो गम के आंशु भी पीना है,,,
कोई साथ दे या ना दे,,,
तुझे अकेले ही आगे बड़ना है,,,
जिंदगी की राह नही आसन,,,
हर कदम पर होता है इम्तिहान,,,
कोई समझेगा तुझे कोई नही,,,
दोस्त हर कोई 
होता सच्चा नही,,,
इसलिये तुझे अपना दोस्त,
खुद को बनना है,,,
हर किसी की नजर अच्छी नहीं,
िफतरत भी कुछ की,
सच्ची नहीं हाेती,
कौन अपना कौन पराया,
ये भी तुझे खुद ही परखना है।
अपनी रक्षा भी तुझे,
खुद ही करना है,,,
जब हो तन्हा अकेली तो
अपनी सुखद यादों को 
याद कर लेना,,,
मिल जाऊंगा मैं भी वही कही,,
उम्र मेरी भी हो चली है,,,
मेरी बिटियाँ रानी,,,
हिम्मत से काम लेना,,,
मैं रहूं या ना रहूँ,,,
तु सच की राह पर 
आगे बड़ते रहना है,,,
तेरा,,,
पापा,,,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
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चाहतों के पुरा होने पर खुिशयों की बहारें होती है

चाहतों के पुरा होने पर,
खुशियों की बहारें होती है,,,
क्योकि कोशिश करने वालों की
कभी हार नहीं होती है,,,
जीत जब होती है,
हर चहरें पर, मुश्कान होती है,,
राहों में होगी हजारों मुश्किलें,
हर को मुश्किल हराना है,
आगे तो बढ़ते रहना है,
वक्त के साथ चलना है,,,
जो चाहा वो  मिलेगा,
बस थोड़ा परिश्रम तो,
करना है,,,
चाहतों के पुरा होने पर,
खुशियों की बहारें होती है,,,
कोशिश करने वालों की,
कभीहार नहीं होती है,,,
होता है कभी-कभी,
उम्मीदों के बादल में,
खुशी की एक बुन्द,,
नहीं होती है,,,
लेकिन कोशिश तो तुझे,
फिर भी करनी है,,,
मुिसबतें तेरी टॉग खिचेगी,
तु लड़-खड़ायेगा भी,
गिरेगा भी,
पर तुझे खुद ही संभलना है,,,
फिर से उठ खड़े होना है,
कोई साथ दे या ना दे,
तुझे अकेले ही,
चल पड़ना है,,,
ये जिंदगी है,
आज हारे है तो क्या,
कल तो जितना है,,,
इसलिये चल उठ िफर से,      
कोशिश कर,
अपनी चाहतों को  फिर से,
नया कर और आगे बढ़,,,    
क्योकि कोशिश करने वालों की
कभी हार नहीं होती है,,,
और चाहतों के पुरा होने पर,   
खुशियों की बहारें होती है,,,

SCK Suryodaya
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Wednesday, 29 November 2017

पापा जैसा ना बन पाया

बचपन से देखता आया हॅू,
पापा को परिश्रम करते,,,
पर उनके जितना,
मैंं कभी ना कर पाया,,,
पढ़ना-लिखना-बोलना,,,
सबकुछ उनसे ही सीखा,,,
आज मैं पिता तो बन गया,
पर पापा जैसा ना बन पाया,,,
उन्होनें मेरा भविष्य सोचकर,
अपना वर्तमान मुझे दिया,,,
प्यार दिया, होंसला दिया,,,
उनकी कमाई पर, ऐस किया,,,
जब मेरी कमाई की बारी आई,
तो कुछ ज्यादा बचा ना पाया,,,
अपनी बिटीयाँ की जिद में,,,
अपनी जिद नजर आती है,,,
पापा की शिक्षा, उनके संस्कार,
उनके आदर्श, उनकी बातें,
आज समझ आई,,,
क्यों डरते थे देर तक घर से,
बाहर रहने पर,,,
जब आज  बिटियाँ घर से बाहर
होती है तो मन बैचेन रहता है,,
पापा पापा ही होते है,,, शायद,
किसी दिन पापा जैसा बन पाऊं,
और अपना पिता धर्म निभाऊं,,      

SCK Suryodaya
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Thursday, 16 November 2017

मानसिक स्वास्थ्य जरूरी है वरना शरीर अस्वस्थ

हमारा शरीर एक ऐसी मशीन है जिसके जागते सोते कोई ना कोई पार्ट कार्यरत रहते है। उसमें एक महत्वपूर्ण अंग है दिमाग। जो नींद की अवस्था में भी कार्यरत रहता है। जब हम मानसिक तनाव में रहते है तो यह तनाव हमारे दिमाग को भी विचलित करता है। हमारी सोच से दिमाग में भी हलचल होती है जो हमें अलग विचारों की और ले जाते है जो सदेव नकारात्मक होते है और ऐसे समय अगर तनाव से नही निकले तो आत्महत्या जेसे विचारों का जन्म हो जाता है, इसलिये जब भी कोई दुविधा या समस्या हो तो उसका हल निकालने की कोशिश करें, स्वयं ना निकाल पायें तो अपने परिवार जनों, मित्रों को बात बतायें। जब हम मानसिक तनाव में रहते है तो हमारे शरीर की अन्य अंगो पर भी इसका सीधा असर पड़ता है। 
इन्सान की सोच का उसके आचरण और काम पर भी प्रभाव पड़ता है जब वह मानसिक तनाव में होता है तो उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है।
सोच और आचरण का रिश्ता ऐसा है, जैसे बैल और बैलगाड़ी का, जिधर बैल जाएगा, उधर गाड़ी भी जाएगी। दिमाग़ एक बाग़ की तरह होता है। जब उसकी देख-भाल नहीं की जाती तो उसमें बिगाड़ पैदा हो जाता है। नकारात्मक सोचों के साथ रचनात्मक और सकारात्मक काम नहीं हो सकता। जब हम खुशी में होते है तो हमारा मानसिक स्वास्थ्य (भी अच्छा रहता है और हम मानसिक प्रदूषण भी नहीं फैलाते।
टोह लेने, भ्रम, ग़लत धारणा आदि बुरी बातों को हमें नापसन्द करना चाहिए है। हम इनसे बचते हैं तो मानसिक व नैतिक स्तर पर सेहतमन्द रहते हैं।
जब हम बुरी खबर सुनते है तो अचानक से कभी-कभी हमारे सारे हावभाव परिवर्तित हो जाते है, मानसिक तनाव कई बिमािरयों का घर है जिसमें अनिंद्रा, पक्षाघात, ह्दयघात आदि मुुख्य है।
अत: जब हम अपने आप को विभिन्न तनाओं से मुक्त कर लेते है तो हमारा दिमाग भी शांत होकर नये, सार्थक विचारों के साथ हमारे शरीर के अन्य अंगों को सकारात्मक उर्जा से भर देता है। इसलिये बुरी यादों को भुलें और इस जिवन को आनन्द के साथ जिये,,,,,,,


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मीठी सी खुशी

एक सुहानी शाम सबसे अंजान, अधीर मन में सिर्फ़ तेरा इंतज़ार। तेरे लब की मीठी सी खुशी देना, आकार मेरे पास फिर ना जाना। बिखरकर ब...