गम-ए-महफील सजी सुनाओं, गम-ए-कहानी,
मार डालों इस गम को, ये जिन्दा कैसा है?
कोन थी वो, जिसने दिल तोड़ा,
मयखाने में पयाम का सवाल कैसा है?
तु ही चाहत, तु ही राहत मेरी,
पास नहीं है तु फिर भी चाहत का होना कैसा है?
तु कितनी ही बैवफ बन कत्ल कर अरमानों का
हम तेरी खूशी चाहेंगे,अन्दाजे वीर ऐसा है।
जमाने से सुनते आये मोहब्बत का फलसफा,
मोहब्बत का ये ही सिलसिला कैसा है?
चहरे पे चहराहर चहरा उसका झूठा,
जिन्दगी के चहरे पर नकाब कैसा है?
कैसे समझाये उसे ये मोहब्बत कम न होगी,
गर झूठा है तो देखना अन्जाम-ए-इश्क कैसा है?
खूशि और गम, किस्मत से है,
किसी का मिलन मूझसे बिछड़ना कैसा है?
प्यार और मोहब्बत के फसाने निराले है,
इसी में हसंना रोना फिर कोई गम कैसा है?
तेरे जाने के बाद आलम है ये,
अपना घर ही मयखाना बनाए रखा है।
हर कोई बरबाद है हुश्न के इश्क में,
फिर भी करता ये गुनाह ये विर कैसा है?
प्यार ही मांगा था दिया फरेब का मंजर,
पिलाया जहर न करता अब असर कैसा है?
सब कुछ बदलता है ये सबकी फितरत है,
मैं नहीं बदलूंगी फिर ये बदलना कैसा है?
यूं तो जिन्दगी में गम कोई कम न थे,
तुझसे भी मिलते रहे ये सिलसिला कैसा है?
शबनम समझ अपना बनाया उसे,
किसी और की चाह सेतर बतर ये जिस्म कैसा है?
चाहा है तुझे, इसकी कोई हद नहीं,
तेरे सिवा किसी और चाहत होना फिर कैसा है?
कई बार जश्न कई बार मातम की रश्म,
मेरे गम में उसकी खूशि का छलकना कैसा है?
शब-ए-गम में चिराग जलाने का सोचा था हमने,
बैवफा चिराग भी तन्हा कैसा है?
तु आएगी एक दिन इसलिये दरवाजा खूला रखा है,
शामो-सुबह, दुस्मनों का पहरा कैसा है?
वह कहती है मोहब्बत मेरी लोखों की है,
उसे कैसे बताउं मेरा करोड़ो का प्यार कैसा है?
हर अन्धेरे के बाद रोशनी का दोर होता है,
फिर ये अन्धेरों में बैठने वाला शोर कैसा है?
जहर का प्याला सराफत से पिलाया साजन ने,
जिन्दगी में मोहब्बत का ये तोहफा कैसा है?
दुआ मे उठते ये हाथ मांगे बस खूशि तेरी,
मैरा खूदा तु, फिर दूसरा खूदा कोई कैसा है?
हर कोई बरबाद है इस हुश्न के इश्क में,
इस बार है जिसकी बारी जाने कैसा है?
मार डालों इस गम को, ये जिन्दा कैसा है?
कोन थी वो, जिसने दिल तोड़ा,
मयखाने में पयाम का सवाल कैसा है?
तु ही चाहत, तु ही राहत मेरी,
पास नहीं है तु फिर भी चाहत का होना कैसा है?
तु कितनी ही बैवफ बन कत्ल कर अरमानों का
हम तेरी खूशी चाहेंगे,अन्दाजे वीर ऐसा है।
जमाने से सुनते आये मोहब्बत का फलसफा,
मोहब्बत का ये ही सिलसिला कैसा है?
चहरे पे चहराहर चहरा उसका झूठा,
जिन्दगी के चहरे पर नकाब कैसा है?
कैसे समझाये उसे ये मोहब्बत कम न होगी,
गर झूठा है तो देखना अन्जाम-ए-इश्क कैसा है?
खूशि और गम, किस्मत से है,
किसी का मिलन मूझसे बिछड़ना कैसा है?
प्यार और मोहब्बत के फसाने निराले है,
इसी में हसंना रोना फिर कोई गम कैसा है?
तेरे जाने के बाद आलम है ये,
अपना घर ही मयखाना बनाए रखा है।
हर कोई बरबाद है हुश्न के इश्क में,
फिर भी करता ये गुनाह ये विर कैसा है?
प्यार ही मांगा था दिया फरेब का मंजर,
पिलाया जहर न करता अब असर कैसा है?
सब कुछ बदलता है ये सबकी फितरत है,
मैं नहीं बदलूंगी फिर ये बदलना कैसा है?
यूं तो जिन्दगी में गम कोई कम न थे,
तुझसे भी मिलते रहे ये सिलसिला कैसा है?
शबनम समझ अपना बनाया उसे,
किसी और की चाह सेतर बतर ये जिस्म कैसा है?
चाहा है तुझे, इसकी कोई हद नहीं,
तेरे सिवा किसी और चाहत होना फिर कैसा है?
कई बार जश्न कई बार मातम की रश्म,
मेरे गम में उसकी खूशि का छलकना कैसा है?
शब-ए-गम में चिराग जलाने का सोचा था हमने,
बैवफा चिराग भी तन्हा कैसा है?
तु आएगी एक दिन इसलिये दरवाजा खूला रखा है,
शामो-सुबह, दुस्मनों का पहरा कैसा है?
वह कहती है मोहब्बत मेरी लोखों की है,
उसे कैसे बताउं मेरा करोड़ो का प्यार कैसा है?
हर अन्धेरे के बाद रोशनी का दोर होता है,
फिर ये अन्धेरों में बैठने वाला शोर कैसा है?
जहर का प्याला सराफत से पिलाया साजन ने,
जिन्दगी में मोहब्बत का ये तोहफा कैसा है?
दुआ मे उठते ये हाथ मांगे बस खूशि तेरी,
मैरा खूदा तु, फिर दूसरा खूदा कोई कैसा है?
हर कोई बरबाद है इस हुश्न के इश्क में,
इस बार है जिसकी बारी जाने कैसा है?
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