Wednesday, 24 January 2018

परी हॅू अपने पापा की

मुझे ऐसे ना छुओं
ना टुटकर  बिखरने दो,,,
मुझपे इतना जुल्म ना करों,
मुझे पढ़ने दो, आगे बढ़ने दो,,
मेरे सपनों को पुरा होने दो,
मुझे भी स्वतंत्र जीने दो,,
तुम ये क्यों भुल रहें हो,
मेरे होने से ही बनेगें नए रिश्तें,
मुझसे ही होंगे,

मानव जीवन के किस्से,,
मैं नहीं तो कल नहीं,
मैं नहीं तो कैसे रिश्तें
जान हूॅ अपनी माँ की,,
परी हॅू अपने पापा की,
बहना हॅू अपने भैया की,
मेरी चाहतों को पुरा हाेने दो,
मुझे पवित्र बने रहने दो,,,
कल का सूर्योदय देखने दो,,
हक है मुझे जीने का
मुझे जीने दो,,,,,,,,,,


SCK Suryodaya 
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

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