Thursday, 25 January 2018

सराफत का अब तो परदा उठा

तेरे चहरे से सराफत का,
अब तो परदा उठा।
मेरी वफा जो थी का,
ये सिला मिला,
तु किसी और की बाहों मे,
टुटकर बिखरा।

तेरी इस वफा से,
जीने से क्या भला,
अब तो जिस्म भी साथ नहीं,
दोस्त मेरे चल,
अब, जनाजा उठा।

है अन्धेरों का दोर,
फिर छाने लगा,
तेरे बिना, अब क्या जिना,
मेरी चाहत को जो तुने, रूसवा किया,
अब भीड़ में भी तन्हा हुआ।


सांस बाकी है तो,
इससे क्या भला,
मोत के मंजर हंसी,
तेरी बैवफाई से मैं,
जिन्दा क्या।

मांगता हॅू मैं तुझसे,
मोहब्बत की और सजा,
जहर और दे दे,
अब और रहम ना करना।

खूदा ने भी,
तेरी खूशियों के बदले,
मुझे गमों का तोहफा दिया,
तो इक बार तो
जरा, अपने चहरे से,
सराफत का, अब तो परदा उठा।


SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist

sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

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