Sunday, 31 December 2017

नववर्ष मुबारक़ हो,,,

नये मचलतें अरमा हो,
फिर फूदकतें विचार हो,,,

नई उमंगें नई तरंगे हो,
चाहतें सबकी पूरी हो,,,

जीतने के अरमा हो,
ख्वाब सबके पूरे हो,,,

दुवाएं सबकी कबूल हो,
खुशियों की बारिशें हो,,,

कोई ना अब उदास हो,
हर चहरें पे मुस्कान हो,,,

बेघर कोई अब ना हो,
सबका आशियाना हो,,,

अब कोई ना पराया हो,
सब अपनों से बड़कर हो,,,

चारों और हरियाली हो,
हर घर खुशहाली हो,,,

धान भरा हर कोना हो,
सुख समृद्धि, शांति हो,,,

अज्ञानता का अन्त हो,
राष्ट्रहित उन्नति पर हो,,,

प्यार का समुद्र हो, 
मानव धर्म एक हो,,,

सबका समावेश हो,
एक ऐसा परिवेश हो,,,

आप सबको दिल से
नववर्ष  मुबारक हो,,,

SCK Suryodaya 
Reporter & Social Activist
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Friday, 29 December 2017

फिर तन्हा हॅू

तन्हा रातों को करता विदा हूं,
होते उजाला फ़िर तन्हा हूं,,,

तेरे बिना है ये जीवन अधूरा,
तु जो मिले तो हो जाये पूरा,,,

मुझको मिली ये केसी सज़ायें,
मुझे माफ कर दे जो भी खता है,,,

हर लम्हा इंतजार करता हॅू मैं,
जुदाई से ऐ खुदा दे दे रिहाई,,,

बरसता सावन मुझको रुलाये,
वो हसीं नज़ारे जो याद आये,,,

तेरे इश्क़ में, मै जबसे रमा हूं,
तेरे खयालों से ही ज़िन्दा हॅू,,,

तन्हा रातों को करता विदा हूं,
होते उजाला मैं फ़िर तन्हा हूं,,,

                     

SCK Suryodaya
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Thursday, 28 December 2017

गम-ऐ-ज़हर मेने पिया

अपनी आरजूओं को दफ्न कर,
गम-ए-जहर मेने पिया,
दिल पे रख पत्थर,
एक बैवफा को मैने मांफ किया।

कातिल थी उसकी मुस्कुराहट,
नजरों से उसने कत्ल किया।
दिल पे रख पत्थर,
एक बैवफा को मैने मांफ किया।

कभी खाई थी जो कसम साथ जीने की,,
कहती थी वों, मे हॅू बस तुम्हारी,
आज फिर वो
किसी और की बनी जां नशी,


उसकी चाहत में सब कुर्बान कर,
गम-ए-जहर मेने पिया,
दिल पे रख पत्थर,
उस बैवफा को मैने मांफ किया।

दो पल जूदा जो ना होते थे,
वो पल आज खफा-खफा है,
उसके इश्क में, मैं जो रमा,
आज अपने सब खफा-खफा है।


एक नहीं, कई बार,
उसके हर गुनाह को माफ किया,
दिल पे रख पत्थर,
उस बैवफा को मैने मांफ किया।

मोहब्बत में तुम्हारी, मैं  मिट जाउंगी,
हर बार कई मुलाकातों मे, उसने यहीं कहां,
टुट गया गुरूर मेरा,
जब मिले उसके कई पिया।


उसकी बातों में उलझकर,
सबकुछ छोड़ चला,
दिल पे रख पत्थर,
उस बैवफा को मैने मांफ किया।

बाहों में, मेरी होकर,
खयाल उसे सिकी और का था,
जिन्दगी थी वो मेरी,
पर यार उसका कोई और था।

बै-पनहा मोहब्बत का,
मुझे ये सिला मिला, 

सब कुछ खोया,
जब उसने किसी और को पाया।


उसकी चाहत में सब कुर्बान कर,
गम-ए-जहर मेने पिया,
दिल पे रख पत्थर,
उस बैवफा को मैने मांफ किया।

मतलब की थी उसकी यारी,
मतलब निकला हो गयी पराई,
जा, बैवफा जा, तेरी खूशि के लिए,
 

तुझे छोड़ा तुझे मांफ किया।

SCK Suryodaya
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Wednesday, 27 December 2017

सिर्फ तुम,,,

मेरे  पास तुम ,  आसपास  तुम,,,
जज्बा त तुम, हर अहसास तुम,,,
दि ल की धड़कन, हर सांस तुम,,,
टुटे ना जो कभी,  वो ख्वाब तुम,,,
यादों की  याद , हर बात में  तुम,,,
तुमसा हूं मैं, मुझसे हो जान तुम,,,
तुम ही  तुम , सिर्फ  तुम ही  तुम,,,
ढलती शामें, हर इक रात में तुम,,,
हर इक नजर, हर नजारों में  तुम,,,
गीत की धुन, संगीत का सुर तुम,,,
हर गजल, हर नज्म में सिर्फ तुम,,,
 

 

SCK Suryodaya

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नज़र

नज़र हर पल ढुण्डती है,,,
ना जाने किसकी इसे तलाश है,,,
दूनियां में अपनों की कमी नहीं,,,
पर फिर भी,
कोई अपना क्यों लगता नहीं,,,

दोस्त भी दोस्त जैसे अब रहे नही,
ऐ वीर अपनों को,,,
पहचाने भी तो अब कैसे,,,
सब सच्चे से लगते है,,,
चहरे पर चहरा अपने भी,,,
लगाए बैठे है,,,


SCK Suryodaya
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Monday, 25 December 2017

अब मुनासिब नही,,,

ढ़ुण्डने जब चला,
आशिकी को मेरी,,,
मुझे जो मिली,
मेरी ना रही,,,

मेरी चाहत पर,
जमाने की नज़र जो लगी,,,
पास थी वो मेरे,
पर दूरिया सदियों सी मिली,,,

ढ़ुण्डता फिरा,
जो कभी सिर्फ थी मेरी,,,
अंजान बनकर जब,
वो पलट जो गई,,,

अरमा टूटकर बिखरे,
जब बेवफ़ाई उसने की,,,
ढ़ुण्डने जब चला,
आशिकी को मेरी,,,

मुझे जो मिली,
मेरी ना रही,,,
चांहू उसे मैं,
अब मुनासिब नही,,,
Continue,,,,

SCK Suryodaya 
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Sunday, 24 December 2017

बेटियाँ भी किसी से कम नहीं

ऐ पुरूष सुना है,
तुम्हें बेटियाँ पंसद नहीं,,,
बेटा होता है तो खुशियां मनाता है,,,
बेटी होने पर क्याें अफसोस जताता है,,,


ऐ पुरूष सुना है,
तुम्हें बेटियों की किलकारियां पसंद नहीं,,,
तो क्यों सुनी बचपन में तुमने, माँ की लोरी,,,
तुम्हें बेटियाँ पंसद नहीं तो क्यों बनाई,,,

किसी की बेटी को अपनी अर्धांगनी,,,
 

ऐ पुरूष सुना है,
तुम पुत्र को तो  स्कूल भेजते हो, 

पुत्री से बर्तन मंजाते हो,,,
पर सुन तो सही,,

पुत्र तो तुझे वृद्धाश्रम रास्ता दिखाएगा ही,,,
जब 
दुल्हन वो लाएगा अपनी ,,
पर बेटियाँ ऐसा कभी करेगी नही,,,
 

ऐ पुरूष सुना है,
तु बेटों की सभी चाहते पुरी करता है, 

और बेटियों की नहीं,
सुन तो सही,ये बेटे तो तेरे कफन के 

रूपयों का जोड़ लेगें हिसाब भी,,,
पर बेटियाँ तेरी संपत्ती में से कुछ भी लेगी नहीं,,

एे पुरूष सुना है,
तु बेटे को कुल का दीपक समझता है,,,
तो सुन तो सही, 

एक बार, बेटी को भी अच्छी शिक्षा दे,
प्यार दे, फिर देख, बेटियाँ भी तेरा नाम 
दूनियां मे रोशन कर देगी,,,
 

ऐ पुरूष सुना है,
बेटियों का रूदन तुझे सुनाता नहीं,

सुन तो सही,तेरी मौत पर आंसु बेटे नहीं,
बेटियाँ ही बहाती है,,,


ऐ पुरूष सुना है,

तुझे उसकी ताकत पर भरोसा नहीं,
 
तो क्यों रहा तु माँ की कोख में
तेरे पिता ने तो वो प्रसव दर्द सहा नहीं,


ऐ पुरूष सुना है,
तुझे अपनी मर्दांनगी पर भी बहुत घमण्ड है,,,
तो सुन तो सही,कमजोर नहीं है नारी,,,
ये जीवन भी तुझे देने वाली है नारी,,,
ये दूनियां भी उसके बिना चल सकती नहीं,,,

 

तो ऐ पुरूष,
बेटियों के जन्म पर भी जश्न मना,,,
उन्हेंं पढ़ा लिखा, 

क्योंकि बेटियाँ भी किसी से कम नहीं,,,
                     
SCK Suryodaya
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Friday, 22 December 2017

नगमा तेरी बेवफ़ाई का,,,

मोहताज़ तो नही था, मैं तेरी मोहब्बत का,,,
ऐहसान तो तुने किया, ठुकरा के मेरी वफ़ा,,,

दुर तो तु बहुत हो गया, क्या करुं  यादों का,,,
अहसास खाक हुवा, क्या करूं गुलाब का,,,

बेइन्तेहा इश्क़ कर, पाया तोहफा दर्द का,
बेवफ़ा तु हुवा, मिला सिला मुझे वफ़ा का,,,

अब तो तुझसे इश्क़ कर, मेने जान ही लिया,
बेवफ़ाओ पर असर नही, पाक मोहब्बत का,,,

जो गेरो की बांहो का, तुने जो शौक पाला,
कोई दोष नही, उन बेखबर बदनसीबों का,,,

जान लेंगे वो भी ईक दिन, तेरी फितरतें  वफ़ा
सच जब जानेंगे गाएंगे, नगमा तेरी बेवफ़ाई का,,,

होश नही मदहोश है तु, जाम पीकर हुश्न का,
रोएगी जब मिलेगा तुझे, तेरी ही फितरत का,,

मैं जी लूंगा दर्दे-गम में, पीकर जाम फरेब का,
रोएगी तु भी जब,ढल जायेगा रंग जवानी का,,,

बिते लम्हों को याद कर, रो लेती है अखियाँ,
रोते है अश्क़ भी, क्या दोष है इन नयनों का,,,

क्यों पास तु आई, जब दुर तुझे जाना ही था,
यकीं नही किसी पर, कत्ल हुवा ऐतबार का,,,

मोहब्बतें बिक रही, मंजर इश्क़ के बाज़ार का,
हुश्ने जाल में फस जाता, मारा दिल ऐ दर्द का,,

टूट चुका है 'वीर' अब, रिश्ता दिल से दिल का,
चाह रहा मौत के मंजर, नही असर जहर का,,

बेवफ़ा जब तु हुवा, मिला सिला मुझें वफा का
इश्को आशिक़ी से परहेज है, अब तो वीर का,

मंजूर है मेरे लिये अब, हर फेसला खुदा का,
इन्तजार खत्म, फेसला बिना तेरे जिने का,,,

मोहताज़ तो नही था, मैं तेरी मोहब्बत का,,,
ऐहसान तो तुने किया, ठुकरा के मेरी वफ़ा,,,

SCK Suryodaya
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Thursday, 21 December 2017

जरूरी तो नहीं,,,

हर खुवाब पुरे हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर चाहत पुरी हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर मन्नत कुबुल हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर राज़ बेपर्दा हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर दिवाना पागल हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर राह की मंजील हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर दूआ में असर हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर कसम सच्ची हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर वादे निभाने हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर याद याद हो, जरूरी तो नहीं,,,,,,

हर गुनाह म्वाफ़ हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर इश्क़ में जिस्म हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर महबुब वफादार हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर मोहब्बत पुरी हो, जरूरी तो नहीं,,,

हर बात पर यकिन हो, जरूरी तो नहीं,,,

वीर-एे-इश्क़, जरूरी तो नहीं,,,,,,,,,,,,,,,

SCK Suryodaya
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Tuesday, 19 December 2017

तुम तुम ना रहे, हम हम ना रहे,,,


वो कुछ शब्द थे, जो  निशब्द से रहे,,,

वो टूट कर बिखरे, आवाज ना बन सके,,,

सबकुछ मन में रहे, लब्ज़ ना बन सके,,,

कहता मैं किससे, अर्थ कोई ना समझे,,,

वो बेगाने से निकले, जो थे कभी अपने,,,

कुछ रिश्तेदार तो है, पर रिश्तें ना बचे,,,

दोस्त तो बहुत है, कोई खास ना रहे,,,

सब जख्म ही बने, मरहम कोई ना थे,,,

दिल से सब खेले, अब हिरराँझा ना रहे,,,

हमारे वो साथ थे, लेकिन पास ना रहे,,,

फिर तुम तुम ना रहे,  तो हम हम ना रहे,,,

तुम हमारे ना रहे, तो हम भी तुम्हारे क्यों रहें,,,

SCK Suryodaya
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Monday, 18 December 2017

मौत की फरियाद कर जा

अब आखरी सांस भी तुझमें जियूं,
आकर ऐसा कोई इंतज़ाम कर जा,,,

सिर्फ तेरे साथ जियूं तेरे साथ मरु,
आकर ऐसी कोई सज़ा कर जा,,,

जुदाई अब सही नही जाती यार,
मिलो कही ऐसी कोई खता कर जा,,,

तुझसे मोहब्बत गर गुनाह हो तो
आकर मौत का इंतज़ाम कर जा,,,

जान मैं तो जी रहा हूं यादों मे तेरी,
हो सके तो यादों को तजा कर जा,,,

यादें जिंदगी मेरी ये भी मंजूर नही
तो आकर यादों को जहर कर जा,,,

तेरे बिना ऐक पल भी केसे जियूं,
दर्द की दुनियाँ से आज़ाद कर जा,,,

वीर-ऐ-जिंदगी तो सिर्फ तु ही है,
भूलूँ सब ऐसा कोई सितम कर जा,,,

अब जिंदगी तेरे ही नाम कर दी है,
और क्या चाहत है तेरी ये बता जा,,,

फिर भी जी ना भरे अगर तेरा तो
आ आकर मौत की फरियाद कर जा,,,

SCK Suryodaya
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भैद जिया के मैं जो खोलूं,,,

भैद जिया के मैं जो खोलू,
प्रित पिया की बैरी लागे,,,

जितना जगाया उतना जागे,
नैना मोरे सब कुछ कहते,,,

दर्द सितम की बात नहीं है,
पर पिया मोरा पिया ना लागे,,,

हाल बुरा है सब ये जाने,
फरेबी पिया को ये अच्छा लागे,,,

कैसा है ये मोरा पिया जो,
झूठी मोहब्ब्त को सच्चा माने,,,

लाख सितम वो मुझपे कर ले,
प्यार किया वीर सबकुछ सहले,,

अहसान उसका ये मुझपे तो है,
झूठा ही सही प्यार किया है,,,

प्यार के उस अहसास में जी लूं,
ये जिन्दगी उसके नाम कर दूं,,,

गम सारे उसके जी लूं,
घुंट फरेब का फिर पी लूं,,,

भैद जिया के मैं जो खोलू,
प्रित पिया की बैरी लागे,,,

SCK Suryodaya
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Saturday, 16 December 2017

गमों का समन्दर

खुशियों के आंशु यहां मिलते नहीं है,
गमों का समन्दर क्यों सूखता नहीं है,,,

अंधेरों का शौर यहां सुनाता नहीं है,
चाहत के मोती क्यों चमकते नहीं है,,,

देखूं तुझे मैं बस ईक हसरत यहीं है,
नज़ारों में शामिल अब तु क्यों नहीं है,,,

मुझे अपना बनाकर दुश्मन माना है,
गैरों पर तेरा अब क्या ऐतबार सही है,,,

जुदाई की सांसे अब थमती नहीं है,
मिलन का मोषम क्यों बनती नहीं है,,,

सांसें है पर अब 'वीर' ज़िन्दा नहीं है,
धड़कता है दिल पर क्यों ज़ान नहीं है,,,

तमन्नायें इश्क़ की फ़िर मुर्झा रही है,
मोहब्बत की कसमें क्यों याद नहीं है,,,

इश्क़ हो ज़िन्दा तो ऐतबार भी कर ले,
तु देख ज़रा क्या तेरा रूठना सही है,,,

खुशियाँ माँगू खुदा से दुवा भी यही है,
मेरी दुनियां तु और कुछ याद नहीं है,,,

कभी एक थे ज़ान एक ही रही मंजिल,
हमसफ़र अब क्यों संग चलती नहीं है,,

तेरे बिना शानों-शौकत ना चाहूँ ज़न्नत,
बस तुम आ जाओ तो सब कुछ यहीं है,,,

लबों से लागा लूं पर तस्वीर भी नहीं है,
है अब बरसो के बादल यादें धुंधली है,,,

खुद को तुझमें ऐ ज़ान मिटाने चला हूं,
दर्द की आग अब जो बुझती नहीं है,,,

खुशियों के आंशु यहां मिलते नहीं है,
गमों का समन्दर क्यों सूखता नहीं है,,,

SCK Suryodaya
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Thursday, 14 December 2017

असर मिटना मुश्किल है,,,

वाकई बड़ी हसीं है इश्क़-ए-दुनियां,
हर किसी के नसीब में हो मुश्किल है,,,

हथेली पर नाम उकेरा था उसका,
पर अब दिल से मिटना मुश्किल है,,,

सब जायज़ था जब तक इश्क़ रहा,
याद जब तक पाक रहना मुश्किल है,,,

हर लम्हे को उसने जख्म कर दिया,
बे-इन्तेहा दर्द से बचना मुश्किल है,,,

ख्याल ना था आयना भी देगा धोखा,
कौन अपना पहचान पाना मुश्किल है,,,

रश्म-ए-इश्क़ किसी से निभाना कैसा,
किसी एक का बने रहना मुश्किल है,,,

उससे इश्क़ कर गुनेहगार मैं ही बना,
अब सज़ा-ए-मौत से बचना मुश्किल है,,,

जां नशी को हर नज़र से परखा था,
अब यकिं किसी पर होना मुश्किल है,,,

इंतज़ार तो हर लम्हा करता उसका,
अब तन्हा रातों का गुजरना मुश्किल है,,,

कब तक ईत्र मलोगे जनाज़ा ले उठा,
बदन से उसका असर मिटना मुश्किल है,,,

अब तो जनाज़े नमाज़ भी हुई अदा,
सुपुर्दे खाक करो उसका आना मुश्किल है,,,

SCK Suryodaya
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अपराध है, फिर भी रेगिंग जारी

किसी भी तरह की मानसिक, शारीरिक या यौन प्रताड़ना या ऐसे किसी काम के लिए मजबूर करना, जिससे मानवीय गरिमा प्रभावित होती है। इसके अलावा बोलकर या लिखकर चिढ़ाना, खराब बर्ताव करना, बेइज्जती करना, डर पैदा करना, धमकी देना, चोट पहुंचाना, कमरे में बंद करना आदि घटनाएं रैगिंग की कैटिगरी में आती हैं। 
सिनियर्स अपने मान के लिए किसी जूनियर्स का अपमान करने से नहीं चुकते लेकिन मान तो मान होता है । इसलिए रेगिंग किसी भी मायने में सही नहीं है, यह अपराध की श्रेणी में ही आता है। रेगिंग एक कानुनन अपराध है, कि तख्ती हर कॉलेज में लटकी नजर आती है तो क्या इस तख्ती पर लीखे कुछ शब्दों से भवभीत होकर सिनीयर, जूनियर की रेगिंग लेना बंद कर चुके है?,,, नहीं,,, रेगिंग फिर भी जारी है। सामान्यत: कॉलेजों में रेगिंग बंद हो चुकी है लेकिन मेडिकल कॉलेजों में रेगिंग नाम का वायरस अभी भी अपनी जड़े जमाये बैठा है। कॉलेज मेनेजमेंट और टिचर स्टॉफ की सख्ती के कारण कुछ हद तक रेगिंग कम हुई है पर पूर्णत: नहीं। कई कॉलेजों में एंटीरेगिंग कमेटी के लोग ही रेगिंग लेते पाये गए है। सिनियर छात्र जूनियर छात्रों का शारीरीक व मानसीक रूप से शौषण करते रहते है। उनका व्यहार जूनियर के प्रति कभी भी सम्मान जनक नहीं रहा। वे जूनियर को डराते है, धमकाते है, अपमानीत करते है, इन्हें केवल अपने मान की पड़ी रहती है, दूसरों के मान की धज्जीयां उड़ाने की इनकी आदत सी हो गई है। जूिनयर को किसी भी नाम से पूकारना, बैवजह रोककर रखना, अपने काम करवाना, 90 डिग्री तक झूकाकर सलाम करवाना अपनी आदत में शुमार है और रेगिंग का यह स्तर कभी-कभी इतना गिर जाता है कि इंसानियत चिख-चिख कर दम तोड़ देती है। कभी मूर्गा बना दिया जाता है तो कभी-कभी उतार दिए जाते है कपड़ेें। अश्लील बातें बुलवाने को मजबूर करते ये सिनीयर छात्र जूनियर छात्रों को एक ऐसे मानसीक दबाव में पहुंचा देते है जहां आत्महत्या करने का फेसला चंद मिनटों में हो जाता है। दूसरों के भविष्य और जिवन से खलवाड़ करने वालें इन अभिमािनयों को काेनसी सजा दी जानी चािहए ये मैं अपने भारत राष्ट्र के संविधान पर निर्भर है। 
कॉलेज का पहला दिन: 
कॉलेज का पहला दिन किसे याद नहीं रहता वो भी मेडिकल कॉलेज का, पहले ही दिन सिनियर्स द्वारा जूनियर की क्लास ली जाती है और निम्न हिदायते दे दी जाती है। 
-सभी जूनियर्स ड्रेस कोड का पालन करेंगें। 
-सिनीयर्स कही भी मील जाये झुककर अभीवादन करें। 
-नजरें हमेशा नीची रखे। 
-सेवींंग बनी हुई, सिर के बॉल छोटे। 
-लड़कियां रिबन बांधकर आये। 
-कोई सवाल-जवाब नहीं। 
-जो हम कहें वो करना होगा। 
सुनीता (परिवर्तित नाम) को सिनीयर्स छात्र ने कहा “अपने बाल कटवा लेना” लम्बें बाल वाली जूनियर छात्र ने ना कहा तो सिनियर छात्र ने एक चाटा जड़ दिया। 
नाम जानना: 
यहां सिनीयर्स का नाम पुछना भी गुनाह ही माना जाता है। यदि जूनियर पूछता है, “सर क्या मैं आपका नाम जान सकता हूॅ” तो निम्न शब्द सुनने का मीलते है:
-क्यों,,, तु मुझे नहीं जानता‌‌? 
-सिनीयर्स से उसका नाम पूछेगा? 
-जा मेरा नाम पता लगाकर आ? 
-जा पहले नाम पूछने का तरिका जानकर आ? 
-क्या करेगा, नाम जान कर? 
-कम्प्लेन करेगा क्या? 
-बड़ा आया नाम जानने वाला? पहले थप्पड़ खा,,, डर के कारण फिर जूनियर सिनीयर के सामने जाने से भी कतराते है। केंटींग और लाईब्रेरी में जाने से भी डरते है और यदि वहा अकेला चला जाये तो फिर समझों बकरा हलाला। 
बकरा हलाल: 
ऐ इधर आ,,, क्यों विस करना नहीं है, थोड़ा और झुककर, अबे क्या नाम है तेरा छछुंदर? कहा का है?,, 
बटन लगा,,, हंस क्यों रहा है,,, गाना आता है?, चल गा कर बता। चल गाना बाद में पहले नांच कर बत,,,, इतने सारे सवालों को सुनकर वो घबरा ही जाता है और कुछ ना कुछ गड़बड़ कर ही देता है। और फिर जरूर मार खाता है, और सिनियर्स यहां उसे अपमानीत करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। जूनियर की क्लास में सिनियर्स जब भी आते है तो जूनियर्स के चहरें पर हवाईयां उड़ने लगती है। इनका विरोध करने की किसी में हिम्मत नहीं होती और जो हिम्म्त दिखाता है वाे अकेला ही खाता है। यहां सिनीयर्स अपने मान की चाहत में जूनियर छात्रों का अपमान करने से नहीं चुकते । ये एक केवल मान-सम्मान की बात नहीं यहां एक मानसिक प्रताड़ना है जिसकी टिस जिन्दगी के कई मायने बदल देती है। कभी-कभी यही प्रताड़ना आत्महत्या के की और अग्रसर कर देती है। रैगिंग अपराध निषेध विनियम का तृतीय संशोधन कॉलेजों में लागू किया जा चुका है। 29 जून को राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1958 (3 का 1956) के अनुच्छेद 26 के उप-अनुच्छेद (1) की धारा (जी) के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों के निष्पादन के लिए आयोग ने कुछ नए विनियमों का सृजन किया गया है। अब किसी भी छात्र को टारगेट कर रंग, प्रजाति, धर्म, जाति, जातिमूल, लिंग (उभय लिंगों समेत) लैंगिक प्रवृत्ति, बाह्य स्वरूप, राष्ट्रीयता, क्षेत्रीय मूल, भाषा वैशिष्ट्य, जन्म निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना का कृत्य रैगिंग माना जाएगा। 
रैगिंग होने पर अपने संस्थान के हेड को फोन करें या लिखित में सूचित करना बेहतर रहता है। अगर यहां कार्रवाई न हो तो आप यूजीसी की ऐंटि-रैगिंग सेल के टोल फ्री नंबर पर तत्काल टोल 1800 - 180 - 5522 पर अपनी शिकायत दर्ज करें या Helpline@Antiragging.In पर ई-मेल कर सकते है। शिकायत सही पाये जाने पर सिनीयर्स की खेर नहीं, अपराधी को इंस्टिट्यूट व हॉस्टल से सस्पेंड या टर्मिनेट किया जा सकता है तथ अगामी रिजल्ट पर रोक लगाई जा सकती है। अपराध सिद्ध होने पर 25 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक का जुर्माने के साथ सजा भी हो सकती है। 
अंत में रेगिंग किसी भी मायने में सही नहीं है इस पर लगाम लगाना अतिआवश्यक है किसी के लिए उसका मान ही उसका जिवन होता है और जहां मान नहीं होता वहां उसका स्वाभीमान उसे वहां का रहने नहीं देता है। और सिनियर्स भी यह जान ले जहां दबाव होता है, भय होता है, वहां सम्मान नहीं होता है। 

SCK Suryodaya
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Friday, 1 December 2017

चल उठा ले गम-ऐ-चादर

रहम करों अब तो मुझे जिंदगी की बद्दुआ ना दो यारों
मेरे मेहबुब की दुआ-ऐ-मौत कबुल होना अभी बाकी है।

सच में आाशां नहीं है दिल-ऐ-दर्द में मुश्कुराना यारों,
किसे पता तन्हा रातों में खामोशी का शौर अभी बाकी है।

मोहब्बत-ऐ-पाक की सजा सिर्फ मुझे ही मीली यारों,
वो शुरू से बैवफा रहा अब तो बैहयाई अभी बाकी है।

अब मैं जैसा भी हॅू हाल-ऐ-दिल मत पुछा करो यारों,
मुझे आखीरी सांस भी उसके नाम करना अभी बाकी है।

गुमान-ऐ-इश्क़ में वो फिर मोहब्बतें बदल रहे है यारों,
मुझे तो अभी उसके इश्क़ का नशा चड़ना अभी बाकी है।

क्या कभी मोहब्बत से नर्फत की जा सकती है यारों,
उसने मोहब्बत तो देख ली मेरी नर्फत अभी बाकी है।

र्दद-ऐ-िसतम तो उसने मुझ पर बैइन्तेहा ढाये है यारों,
हो जाऊं उसके जैसा पर यादों का मिटना अभी बाकी है।

निशानियां मोहब्बत की उसने तो खाक कर दी यारों,
निशां मैं भी मिटा दूं बस मेरा फना होना अभी बाकी है।

उसके बगैर मंजर-ऐ-मौत दिखाता हर लम्हा यारों,
क्या वो बैवफा लेकिन मोहब्बतें यकिन अभी बाकी है।

मुझे तो आज भी यकिन है उसकी आशकिी पर यारों
उसे सब मालुम पर गलतफेहमी मिटना अभी बाकी है।

दस्तुर-ऐ-मोहब्ब्त सदियों से चला आ रहा है यारों,
बै-इंतेहा दर्द लिए अब तो मेरा बिखरना अभी बाकी है।

आखिर क्यो ना करता बैपर्दा उसे कहते सब है यारों,
उसे अच्छा बने रहने दू मुझमे मोहब्बत अभी बाकी है।

रात बहुत हो गई, घर जा पयाम भी कहने लगा यारो
अरे मयखाने से उसके घर का रास्ता अभी बाकी है।

अब तो फिर चल उठा ले गम-ऐ-चादर ऐ “वीर” कि
हर रात की तरह इस रात भी मरना अभी बाकी है।

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
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Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

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