Wednesday, 27 December 2017

नज़र

नज़र हर पल ढुण्डती है,,,
ना जाने किसकी इसे तलाश है,,,
दूनियां में अपनों की कमी नहीं,,,
पर फिर भी,
कोई अपना क्यों लगता नहीं,,,

दोस्त भी दोस्त जैसे अब रहे नही,
ऐ वीर अपनों को,,,
पहचाने भी तो अब कैसे,,,
सब सच्चे से लगते है,,,
चहरे पर चहरा अपने भी,,,
लगाए बैठे है,,,


SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

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