Tuesday, 19 December 2017

तुम तुम ना रहे, हम हम ना रहे,,,


वो कुछ शब्द थे, जो  निशब्द से रहे,,,

वो टूट कर बिखरे, आवाज ना बन सके,,,

सबकुछ मन में रहे, लब्ज़ ना बन सके,,,

कहता मैं किससे, अर्थ कोई ना समझे,,,

वो बेगाने से निकले, जो थे कभी अपने,,,

कुछ रिश्तेदार तो है, पर रिश्तें ना बचे,,,

दोस्त तो बहुत है, कोई खास ना रहे,,,

सब जख्म ही बने, मरहम कोई ना थे,,,

दिल से सब खेले, अब हिरराँझा ना रहे,,,

हमारे वो साथ थे, लेकिन पास ना रहे,,,

फिर तुम तुम ना रहे,  तो हम हम ना रहे,,,

तुम हमारे ना रहे, तो हम भी तुम्हारे क्यों रहें,,,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

3 comments:

  1. बहुत खूबसूरत सृजन किया गया है आपके द्वारा आदरणीय।। ईश्वर आपकी कलम को ताकत दे।। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको भाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद शजर साहब,,,

      Delete
  2. बहुत खूबसूरत सृजन किया गया है आपके द्वारा आदरणीय।। ईश्वर आपकी कलम को ताकत दे।। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको भाई

    ReplyDelete

मीठी सी खुशी

एक सुहानी शाम सबसे अंजान, अधीर मन में सिर्फ़ तेरा इंतज़ार। तेरे लब की मीठी सी खुशी देना, आकार मेरे पास फिर ना जाना। बिखरकर ब...