Friday, 1 December 2017

चल उठा ले गम-ऐ-चादर

रहम करों अब तो मुझे जिंदगी की बद्दुआ ना दो यारों
मेरे मेहबुब की दुआ-ऐ-मौत कबुल होना अभी बाकी है।

सच में आाशां नहीं है दिल-ऐ-दर्द में मुश्कुराना यारों,
किसे पता तन्हा रातों में खामोशी का शौर अभी बाकी है।

मोहब्बत-ऐ-पाक की सजा सिर्फ मुझे ही मीली यारों,
वो शुरू से बैवफा रहा अब तो बैहयाई अभी बाकी है।

अब मैं जैसा भी हॅू हाल-ऐ-दिल मत पुछा करो यारों,
मुझे आखीरी सांस भी उसके नाम करना अभी बाकी है।

गुमान-ऐ-इश्क़ में वो फिर मोहब्बतें बदल रहे है यारों,
मुझे तो अभी उसके इश्क़ का नशा चड़ना अभी बाकी है।

क्या कभी मोहब्बत से नर्फत की जा सकती है यारों,
उसने मोहब्बत तो देख ली मेरी नर्फत अभी बाकी है।

र्दद-ऐ-िसतम तो उसने मुझ पर बैइन्तेहा ढाये है यारों,
हो जाऊं उसके जैसा पर यादों का मिटना अभी बाकी है।

निशानियां मोहब्बत की उसने तो खाक कर दी यारों,
निशां मैं भी मिटा दूं बस मेरा फना होना अभी बाकी है।

उसके बगैर मंजर-ऐ-मौत दिखाता हर लम्हा यारों,
क्या वो बैवफा लेकिन मोहब्बतें यकिन अभी बाकी है।

मुझे तो आज भी यकिन है उसकी आशकिी पर यारों
उसे सब मालुम पर गलतफेहमी मिटना अभी बाकी है।

दस्तुर-ऐ-मोहब्ब्त सदियों से चला आ रहा है यारों,
बै-इंतेहा दर्द लिए अब तो मेरा बिखरना अभी बाकी है।

आखिर क्यो ना करता बैपर्दा उसे कहते सब है यारों,
उसे अच्छा बने रहने दू मुझमे मोहब्बत अभी बाकी है।

रात बहुत हो गई, घर जा पयाम भी कहने लगा यारो
अरे मयखाने से उसके घर का रास्ता अभी बाकी है।

अब तो फिर चल उठा ले गम-ऐ-चादर ऐ “वीर” कि
हर रात की तरह इस रात भी मरना अभी बाकी है।

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

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