मोहताज़ तो नही था, मैं तेरी मोहब्बत का,,,
ऐहसान तो तुने किया, ठुकरा के मेरी वफ़ा,,,
दुर तो तु बहुत हो गया, क्या करुं यादों का,,,
अहसास खाक हुवा, क्या करूं गुलाब का,,,
बेइन्तेहा इश्क़ कर, पाया तोहफा दर्द का,
बेवफ़ा तु हुवा, मिला सिला मुझे वफ़ा का,,,
अब तो तुझसे इश्क़ कर, मेने जान ही लिया,
बेवफ़ाओ पर असर नही, पाक मोहब्बत का,,,
जो गेरो की बांहो का, तुने जो शौक पाला,
कोई दोष नही, उन बेखबर बदनसीबों का,,,
जान लेंगे वो भी ईक दिन, तेरी फितरतें वफ़ा
सच जब जानेंगे गाएंगे, नगमा तेरी बेवफ़ाई का,,,
होश नही मदहोश है तु, जाम पीकर हुश्न का,
रोएगी जब मिलेगा तुझे, तेरी ही फितरत का,,
मैं जी लूंगा दर्दे-गम में, पीकर जाम फरेब का,
रोएगी तु भी जब,ढल जायेगा रंग जवानी का,,,
बिते लम्हों को याद कर, रो लेती है अखियाँ,
रोते है अश्क़ भी, क्या दोष है इन नयनों का,,,
क्यों पास तु आई, जब दुर तुझे जाना ही था,
यकीं नही किसी पर, कत्ल हुवा ऐतबार का,,,
मोहब्बतें बिक रही, मंजर इश्क़ के बाज़ार का,
हुश्ने जाल में फस जाता, मारा दिल ऐ दर्द का,,
टूट चुका है 'वीर' अब, रिश्ता दिल से दिल का,
चाह रहा मौत के मंजर, नही असर जहर का,,
बेवफ़ा जब तु हुवा, मिला सिला मुझें वफा का
इश्को आशिक़ी से परहेज है, अब तो वीर का,
मंजूर है मेरे लिये अब, हर फेसला खुदा का,
इन्तजार खत्म, फेसला बिना तेरे जिने का,,,
मोहताज़ तो नही था, मैं तेरी मोहब्बत का,,,
ऐहसान तो तुने किया, ठुकरा के मेरी वफ़ा,,,
SCK Suryodaya
ऐहसान तो तुने किया, ठुकरा के मेरी वफ़ा,,,
दुर तो तु बहुत हो गया, क्या करुं यादों का,,,
अहसास खाक हुवा, क्या करूं गुलाब का,,,
बेइन्तेहा इश्क़ कर, पाया तोहफा दर्द का,
बेवफ़ा तु हुवा, मिला सिला मुझे वफ़ा का,,,
अब तो तुझसे इश्क़ कर, मेने जान ही लिया,
बेवफ़ाओ पर असर नही, पाक मोहब्बत का,,,
जो गेरो की बांहो का, तुने जो शौक पाला,
कोई दोष नही, उन बेखबर बदनसीबों का,,,
जान लेंगे वो भी ईक दिन, तेरी फितरतें वफ़ा
सच जब जानेंगे गाएंगे, नगमा तेरी बेवफ़ाई का,,,
होश नही मदहोश है तु, जाम पीकर हुश्न का,
रोएगी जब मिलेगा तुझे, तेरी ही फितरत का,,
मैं जी लूंगा दर्दे-गम में, पीकर जाम फरेब का,
रोएगी तु भी जब,ढल जायेगा रंग जवानी का,,,
बिते लम्हों को याद कर, रो लेती है अखियाँ,
रोते है अश्क़ भी, क्या दोष है इन नयनों का,,,
क्यों पास तु आई, जब दुर तुझे जाना ही था,
यकीं नही किसी पर, कत्ल हुवा ऐतबार का,,,
मोहब्बतें बिक रही, मंजर इश्क़ के बाज़ार का,
हुश्ने जाल में फस जाता, मारा दिल ऐ दर्द का,,
टूट चुका है 'वीर' अब, रिश्ता दिल से दिल का,
चाह रहा मौत के मंजर, नही असर जहर का,,
बेवफ़ा जब तु हुवा, मिला सिला मुझें वफा का
इश्को आशिक़ी से परहेज है, अब तो वीर का,
मंजूर है मेरे लिये अब, हर फेसला खुदा का,
इन्तजार खत्म, फेसला बिना तेरे जिने का,,,
मोहताज़ तो नही था, मैं तेरी मोहब्बत का,,,
ऐहसान तो तुने किया, ठुकरा के मेरी वफ़ा,,,
SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
बहुत शानदार लिखा है भाई ।। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको ।।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद शजर साहब,,,
Deleteबहुत शानदार लिखा है भाई ।। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको ।।
ReplyDeleteBahut khub sck ji
ReplyDeleteKiya khhub likha he aapne
Gazab
Thank You So Much Dear Vijay,,,
Delete