ऐ पुरूष सुना है,
तुम्हें बेटियाँ पंसद नहीं,,,
बेटा होता है तो खुशियां मनाता है,,,
बेटी होने पर क्याें अफसोस जताता है,,,
ऐ पुरूष सुना है,
तुम्हें बेटियों की किलकारियां पसंद नहीं,,,
तो क्यों सुनी बचपन में तुमने, माँ की लोरी,,,
तुम्हें बेटियाँ पंसद नहीं तो क्यों बनाई,,,
किसी की बेटी को अपनी अर्धांगनी,,,
ऐ पुरूष सुना है,
तुम पुत्र को तो स्कूल भेजते हो,
पुत्री से बर्तन मंजाते हो,,,
पर सुन तो सही,,
पुत्र तो तुझे वृद्धाश्रम रास्ता दिखाएगा ही,,,
जब दुल्हन वो लाएगा अपनी ,,
पर बेटियाँ ऐसा कभी करेगी नही,,,
ऐ पुरूष सुना है,
तु बेटों की सभी चाहते पुरी करता है,
और बेटियों की नहीं,
सुन तो सही,ये बेटे तो तेरे कफन के
रूपयों का जोड़ लेगें हिसाब भी,,,
पर बेटियाँ तेरी संपत्ती में से कुछ भी लेगी नहीं,,
एे पुरूष सुना है,
तु बेटे को कुल का दीपक समझता है,,,
तो सुन तो सही,
एक बार, बेटी को भी अच्छी शिक्षा दे,
प्यार दे, फिर देख, बेटियाँ भी तेरा नाम
दूनियां मे रोशन कर देगी,,,
ऐ पुरूष सुना है,
बेटियों का रूदन तुझे सुनाता नहीं,
सुन तो सही,तेरी मौत पर आंसु बेटे नहीं,
बेटियाँ ही बहाती है,,,
ऐ पुरूष सुना है,
तुझे उसकी ताकत पर भरोसा नहीं,
तो क्यों रहा तु माँ की कोख में
तेरे पिता ने तो वो प्रसव दर्द सहा नहीं,
ऐ पुरूष सुना है,
तुझे अपनी मर्दांनगी पर भी बहुत घमण्ड है,,,
तो सुन तो सही,कमजोर नहीं है नारी,,,
ये जीवन भी तुझे देने वाली है नारी,,,
ये दूनियां भी उसके बिना चल सकती नहीं,,,
तो ऐ पुरूष,
बेटियों के जन्म पर भी जश्न मना,,,
उन्हेंं पढ़ा लिखा,
क्योंकि बेटियाँ भी किसी से कम नहीं,,,
SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
तुम्हें बेटियाँ पंसद नहीं,,,
बेटा होता है तो खुशियां मनाता है,,,
बेटी होने पर क्याें अफसोस जताता है,,,
ऐ पुरूष सुना है,
तुम्हें बेटियों की किलकारियां पसंद नहीं,,,
तो क्यों सुनी बचपन में तुमने, माँ की लोरी,,,
तुम्हें बेटियाँ पंसद नहीं तो क्यों बनाई,,,
किसी की बेटी को अपनी अर्धांगनी,,,
ऐ पुरूष सुना है,
तुम पुत्र को तो स्कूल भेजते हो,
पुत्री से बर्तन मंजाते हो,,,
पर सुन तो सही,,
पुत्र तो तुझे वृद्धाश्रम रास्ता दिखाएगा ही,,,
जब दुल्हन वो लाएगा अपनी ,,
पर बेटियाँ ऐसा कभी करेगी नही,,,
ऐ पुरूष सुना है,
तु बेटों की सभी चाहते पुरी करता है,
और बेटियों की नहीं,
सुन तो सही,ये बेटे तो तेरे कफन के
रूपयों का जोड़ लेगें हिसाब भी,,,
पर बेटियाँ तेरी संपत्ती में से कुछ भी लेगी नहीं,,
एे पुरूष सुना है,
तु बेटे को कुल का दीपक समझता है,,,
तो सुन तो सही,
एक बार, बेटी को भी अच्छी शिक्षा दे,
प्यार दे, फिर देख, बेटियाँ भी तेरा नाम
दूनियां मे रोशन कर देगी,,,
ऐ पुरूष सुना है,
बेटियों का रूदन तुझे सुनाता नहीं,
सुन तो सही,तेरी मौत पर आंसु बेटे नहीं,
बेटियाँ ही बहाती है,,,
ऐ पुरूष सुना है,
तुझे उसकी ताकत पर भरोसा नहीं,
तो क्यों रहा तु माँ की कोख में
तेरे पिता ने तो वो प्रसव दर्द सहा नहीं,
ऐ पुरूष सुना है,
तुझे अपनी मर्दांनगी पर भी बहुत घमण्ड है,,,
तो सुन तो सही,कमजोर नहीं है नारी,,,
ये जीवन भी तुझे देने वाली है नारी,,,
ये दूनियां भी उसके बिना चल सकती नहीं,,,
तो ऐ पुरूष,
बेटियों के जन्म पर भी जश्न मना,,,
उन्हेंं पढ़ा लिखा,
क्योंकि बेटियाँ भी किसी से कम नहीं,,,
SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
बहुत खूबसूरत और मर्मस्पर्शी पेशकश दी है आपने ।। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको भाई
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी,,,
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