ढ़ुण्डने जब चला,
आशिकी को मेरी,,,
मुझे जो मिली,
मेरी ना रही,,,
मेरी चाहत पर,
जमाने की नज़र जो लगी,,,
पास थी वो मेरे,
पर दूरिया सदियों सी मिली,,,
ढ़ुण्डता फिरा,
जो कभी सिर्फ थी मेरी,,,
अंजान बनकर जब,
वो पलट जो गई,,,
अरमा टूटकर बिखरे,
जब बेवफ़ाई उसने की,,,
ढ़ुण्डने जब चला,
आशिकी को मेरी,,,
मुझे जो मिली,
मेरी ना रही,,,
चांहू उसे मैं,
अब मुनासिब नही,,,
Continue,,,,
SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
आशिकी को मेरी,,,
मुझे जो मिली,
मेरी ना रही,,,
मेरी चाहत पर,
जमाने की नज़र जो लगी,,,
पास थी वो मेरे,
पर दूरिया सदियों सी मिली,,,
ढ़ुण्डता फिरा,
जो कभी सिर्फ थी मेरी,,,
अंजान बनकर जब,
वो पलट जो गई,,,
अरमा टूटकर बिखरे,
जब बेवफ़ाई उसने की,,,
ढ़ुण्डने जब चला,
आशिकी को मेरी,,,
मुझे जो मिली,
मेरी ना रही,,,
चांहू उसे मैं,
अब मुनासिब नही,,,
Continue,,,,
SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
क्या बात
ReplyDeleteबस दिल की बात है,,,
Deleteवाहहहह वाहहह क्या बात है भाई ।। बहुत खूबसूरत सृजन किया गया है आपके द्वारा ।। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको ।
ReplyDeleteधन्यवाद शजर साहब,,,
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