Thursday, 28 December 2017

गम-ऐ-ज़हर मेने पिया

अपनी आरजूओं को दफ्न कर,
गम-ए-जहर मेने पिया,
दिल पे रख पत्थर,
एक बैवफा को मैने मांफ किया।

कातिल थी उसकी मुस्कुराहट,
नजरों से उसने कत्ल किया।
दिल पे रख पत्थर,
एक बैवफा को मैने मांफ किया।

कभी खाई थी जो कसम साथ जीने की,,
कहती थी वों, मे हॅू बस तुम्हारी,
आज फिर वो
किसी और की बनी जां नशी,


उसकी चाहत में सब कुर्बान कर,
गम-ए-जहर मेने पिया,
दिल पे रख पत्थर,
उस बैवफा को मैने मांफ किया।

दो पल जूदा जो ना होते थे,
वो पल आज खफा-खफा है,
उसके इश्क में, मैं जो रमा,
आज अपने सब खफा-खफा है।


एक नहीं, कई बार,
उसके हर गुनाह को माफ किया,
दिल पे रख पत्थर,
उस बैवफा को मैने मांफ किया।

मोहब्बत में तुम्हारी, मैं  मिट जाउंगी,
हर बार कई मुलाकातों मे, उसने यहीं कहां,
टुट गया गुरूर मेरा,
जब मिले उसके कई पिया।


उसकी बातों में उलझकर,
सबकुछ छोड़ चला,
दिल पे रख पत्थर,
उस बैवफा को मैने मांफ किया।

बाहों में, मेरी होकर,
खयाल उसे सिकी और का था,
जिन्दगी थी वो मेरी,
पर यार उसका कोई और था।

बै-पनहा मोहब्बत का,
मुझे ये सिला मिला, 

सब कुछ खोया,
जब उसने किसी और को पाया।


उसकी चाहत में सब कुर्बान कर,
गम-ए-जहर मेने पिया,
दिल पे रख पत्थर,
उस बैवफा को मैने मांफ किया।

मतलब की थी उसकी यारी,
मतलब निकला हो गयी पराई,
जा, बैवफा जा, तेरी खूशि के लिए,
 

तुझे छोड़ा तुझे मांफ किया।

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

3 comments:

  1. अश्के-गम शब्दों में बहुत साफगोई के साथ बयान किया गया है आपके द्वारा इस खूबसूरत रचना में । पढ़कर बहुत आनंदित हुआ मन। ईश्वर आपकी लेखनी को ताकत दे।। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको भाई

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद,,,

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  2. अश्के-गम शब्दों में बहुत साफगोई के साथ बयान किया गया है आपके द्वारा इस खूबसूरत रचना में । पढ़कर बहुत आनंदित हुआ मन। ईश्वर आपकी लेखनी को ताकत दे।। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको भाई

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