अब आखरी सांस भी तुझमें जियूं,
आकर ऐसा कोई इंतज़ाम कर जा,,,
सिर्फ तेरे साथ जियूं तेरे साथ मरु,
आकर ऐसी कोई सज़ा कर जा,,,
जुदाई अब सही नही जाती यार,
मिलो कही ऐसी कोई खता कर जा,,,
तुझसे मोहब्बत गर गुनाह हो तो
आकर मौत का इंतज़ाम कर जा,,,
जान मैं तो जी रहा हूं यादों मे तेरी,
हो सके तो यादों को तजा कर जा,,,
यादें जिंदगी मेरी ये भी मंजूर नही
तो आकर यादों को जहर कर जा,,,
तेरे बिना ऐक पल भी केसे जियूं,
दर्द की दुनियाँ से आज़ाद कर जा,,,
वीर-ऐ-जिंदगी तो सिर्फ तु ही है,
भूलूँ सब ऐसा कोई सितम कर जा,,,
अब जिंदगी तेरे ही नाम कर दी है,
और क्या चाहत है तेरी ये बता जा,,,
फिर भी जी ना भरे अगर तेरा तो
आ आकर मौत की फरियाद कर जा,,,
बहुत खूबसूरत सृजन ।। बेहतरीन रचना ।। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको भाई सूर्योदय जी।।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया,,,
Deleteबहुत खूबसूरत सृजन ।। बेहतरीन रचना ।। बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको भाई सूर्योदय जी।।
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