“हम दो हमारे दो” का नारा केवल दिवारों और रेलियाें में ही सुनने को मिलते है। अगर ये विचार हर कोई अपना लेता तो शायद आज आजादी के बाद से भारत की जनसंख्या 33 करोड़ ही रहती। आज विश्व जनसंख्या दिवास है और विश्व की जनसंख्या 7 अरब 63 करोड़ से उपर विष्फोटित हो चुकी है।
देश वैसे ही भ्रस्टाचार की वेदी पर अपना विकास रखे हुवे है, ऐसे में जनसंख्या वृद्धि चिंता का विषय है। देखने में आया है कि जहाँ घर परिवार में बच्चों की संख्या अधिक होती है उस परिवार में बच्चों की शिक्षा का स्तर निम्न हो जाता है लेकिन वही जब हम ऐसे परिवार की बात करते है जिसमें एक या दो बच्चें हो उन बच्चों की परवरिश के साथ शिक्षा का स्तर भी बेहतर होता है, यहां बच्चो की अन्य चाहतों को भी अच्छे से पूर्ण किया जाता है वहीं बच्चों की पलटन बनाने वाले परिवारों की आर्थिक स्थति उतनी अच्छी नही होती कि वो इस पलटन का ठीक से लालन-पालन कर सके, यहां बच्चों को भगवान भरोसे बड़ा होने के लिये छोड़ दिया जाता है पड़ने-लिखने के उम्र में ये कामकाज पर लग जाते है।
भारत के लड़के को कुल का दीपक कहा जाता है इसी सोच के कारण अधिकांश परिवारों में बच्चों की रेल चल पड़ती है। कई मामलों में कन्या भ्रूणहत्या के मामले इसी कुलदीपक की लालसा में होते है और कई परिवारों में इसी सोच की वजह से दो से लेकर आठ लड़कियों का जन्म हो जाता है और मुस्लिम परिवारों में यह संख्या और भी बढ़ जाती है या फिर भ्रूण हत्याएं होने लगती है। हाल ही में मध्यप्रदेश के देवास शहर में चंद्रा निर्सिंग हाेम का एम.टी.पी. पंजीयन निरस्त किया गया। कारण था पीसी एण्ड पी.एन.डी.टी. का उलंग्न। जांच में सामने आया कि एक वर्ष में यहां की डॉक्टर स्मिता दुबे ने 117 गर्भवतियों का गर्भपात करवाया जो सिर्फ इस बात की और साफ इशारा करता है कि यह सब बेटे चाह में हुआ क्योंकि अधिकांश गर्भपात 12 सप्ताह के भ्रूण के थे।
यदि बेटियों को ही कुलदीपिका मान लिया जाए तथा बेटी और बेटे के भेद को समाप्त कर दिया जाए तो बहुत हद तक जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सकता है। विवाह के पश्चात दो लोग परिवार बनाते है अपने जीवनकाल में यदि एक या दो संतान का ही जन्म दे तो जनसंख्या का स्तर स्थिर हो जाएगा। कम से कम पड़े-लिखे लोगों को तो प्रण करना चाहिए कि लड़का हो या लड़की संतान एक ही अच्छी। बाकी जो अनपढ़ जाहिल है उन लोगो को समझाने का काम भी करना होगा तभी भारत सही मायनों में विकासशील देश बन पाएगा। केवल जनसंख्या बढ़ाने से कुछ नही होगा। जनसंख्या वृद्धि के कारण भुखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा में वृद्धि होती है जो किसी भी प्रगतिशील राष्ट्र के लिए घातक है। इसलिए इस विषय को गंभीरता से लेते हुवे आगे भी चर्चा करनी चाहिए।
मोहम्मद बेल्लो अबुबाकर जिसका नाम हाल ही में सोशल मिडिया पर चर्चा का विषय रहा है जो एक मोलवी था। नाइजीरिया के इस शख्स की वर्ष 2017 में मृत्यु हो चुकी है। इस इंसान की 130 पत्नियां 203 बच्चे थे। यह सुनकर शायद किसी को ज्यादा आश्चर्य नहीं होगा पर इस बात पर सोचने पर मजबूर तो जरूर कर दिया कि जहां हर कोई हम दो हमारे दो के नारे पर अमल करने की सोच रहा है उस स्थिति में यह अकेला 203 बच्चों का पिता बना। विश्व में जनसंख्या विष्फोट का कारण इसी तरह के जाहिल लोग ही है जो बच्चों को उपरवाले की देन मानते है और बीवियाें को बच्चें पैदा करने की मशीन। ऐसे नासमझ लोगों के कारण ही देश गर्त में चला जाता है। युगांडा की रहने वाली मरियम 37 साल की उम्र में अब तक 38 बच्चों को जन्म दे चुकी है।
पाकिस्तान का सरदार जान मुहम्मद खिलजी की तीन बीवियां तथा 35 बच्चें है। उसका लक्ष्य है 100 बच्चों का पिता बनना इसके लिए वो चोथी बीवी की तलाश कर रहा है। भारत की बात करे तो मिजोरम के डेड जिओना जिसके परिवार में कुल 181 सदस्य है। इसकी 39 पत्नियाँ और 94 बच्चे, 14 बहुएँ और 33 पोते-पोतियाँ है।
वर्ष 2017 के आकंड़ो के अनुसार विश्व का एक ऐसा देश जो जिसकी जनसंख्या 1000 है और वर्ल्ड मेटर्स के रिकार्ड के अनुसार आज विश्व की जनसंख्या 7,635,077,191 है। इस साल 43 करोड़ की जनसंख्या वृद्धि हुई है। विश्व में सबसे अिधक जनसंख्या वाला देश चीन है जिसकी 11 जुलाई 2018 प्रात: 11 बजे जनसंख्या 1,415,197,400 है जो विश्व के 18.54 प्रतिशत है तथा विश्व में दूसरे नम्बर पर भारत है जिसकी जनसंख्या 1,354,460,600 है जो विश्व का 17.74 प्रतिशत है। एक नजर अगर जनसंख्या वृद्धि की और डालते है तो पता चलता है कि वर्ष 1804 में विश्व की कुल जनसंख्या 1 अरब, 1930 में 2 अरब, 1960 में 3 अरब, 1974 में 4 अरब, 1987 में 5 अरब, 1999 में 6 अरब, 2011 में 7 अरब। यदि जनसंख्या के इस विष्फोट को अभी रोका नहीं गया तो वर्ष 2030 तक विश्व की जनसंख्या 8,382,005,834 पहुंच जाएगी तथा वर्ष 2045 तक 9,558,236,140 और 2050 तक 10 अरब हो जाएगी।
अगर ऐसा होता है तो यकिन मानिए विश्व मानवता खतरे के निशान काे पार कर देगी। यह एक ऐसा समय होगा जब शायद यह जनसंख्या फिर बड़े ही नहीं क्योकि विश्व युद्ध शायद इससे पहले ही प्रारंभ हो चुके होगे। भलेही भारत विश्व में जनसंख्या के मामले में अपना दूसरा स्थान रखता हो पंरतु वह तीसरे नम्बर पर आने वाले यूनाइटेड स्टेट अमेरिका जिसकी जनसंख्या 326,830,60 है, का सामना नहीं कर सकता। वैसे आने वाले 7 वर्षो में भारत विश्व की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा।
1947 में भारत की जनसंख्या 33 करोड़ थी जो आज चार गुना से अधिक तक बढ़ गयी है। वर्ष 2025 में भारत की अनुमानित जनसंख्या 1,451,829,004 तथा चीन की इसी वर्ष 1,438,835,697 होगी मतलब सिर्फ 7 वर्ष बाद भारत विश्व में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश होगा। शायद भारत के लोगो के लिए ये गौरव की बात हो। लगता है भारत देश से अंग्रेज क्या गए यहां के लोगो को जैसे बच्चें पैदा करने की आजादी ही मिली हो। भारत के लोगो ने ये कोनसी रेस लगा रखी है समझ से परे है।
जनसंख्या वृद्धि आज लगभग हर उन्नत देश के लिए चिंता का विषय है जो आगे चलकर बहुत भयानक हो सकता है यहां तक की लोगो के पास खाने के लिए भोजन नही रहेगा। विश्व की जनसंख्या 1987 को 5 अरब पार कर गई थी तब युनाईटेड स्टेट द्वारा प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का निर्णय लिया गया ताकि इस विष्फोट की और सबकी नजर जा सके और इस समस्या के समाधान के लिए उचित कदम उठाए जा सके। विश्व स्तर पर लिंगानुपात 107/100 है, औसत उम्र 69 जिसमें पुरूष 67 वर्ष, महिला 71 वर्ष। बताते चले की भारत में हर मिनट 34 बच्चे पैदा होते हैं। बेटी बेटा एक समान जैसी सोच के साथ ही इस समस्या का निराकरण संभव है।
(एस.सी.के. सूर्योदय)
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