Monday, 26 February 2018

आखिर शत्रु कौन?

व्यक्ति एवं सामाजिक परिवर्तन में एक अवराेध जो कही ना कही मानव मन को विचलीत कर इसका कारण बन जाता है, वह है शत्रुता।
शत्रुता मानव मन में द्वेश्ता के भाव को उत्पन्न करता है जो षडयंत्र के रूप में बदले की भावना के जन्म का कारण बनता है, जिससे व्यक्ति के सभी प्रकार के विकास अवरूद्ध हो जाते है। अगर हम बात करे कि हमारा शत्रु कौन है तो कुछ परिस्थितियां या कारणों पर हम विस्तृत अध्ययन के पश्चात जो कारण सामने आये चर्चा करेगें।
जैसा कि आलेख के विषयवस्तु शत्रु कौन? से ही स्पष्ट हो जाता है कि शत्रु वह व्यक्ति या समुह जो कभी आपका भला नहीं चाहता या जिसे आपकी खुशी उनके दु:ख का कारण बनने लगती है। हमारे अध्ययन से यहां कुछ उदाहरणों से आपको अवगत करवा रहें है जिससे शत्रुओं का जन्म होता है जहां या तो आप किसीके जाने-अनजानें में शत्रु हो जाते है या आपकी कार्यप्रणाली या व्यवहार से आप या आपका कोई शत्रु हो जाता है।
यहां इस बात को भी आप भलीभाती जान ले कि जरूरी यह नहीं कि दोनों ही पक्ष एक-दूसरे से शत्रुता का भाव प्रदर्शित करते या रखते हो, कभी-कभी यह एक पक्षीय भी हो सकता है या दोनों और से लेिकन यह भाव उस विष की तरह है जिसका दंश सोचने-समझने की प्रणाली पर हावी होता है। शत्रुता कभी-कभी मंद गती से मारने वाला जहर भी साबित होता है।
यह तो सभी जानते है क शत्रुता कभी भी किसी का भलाई का कारक नहीं हाेता उलट यह भाव युद्ध की दिशा की और अग्रसर होता है और यह विचार या सोचना निरर्थक होगा कि कोई यह कहे कि युद्ध से कोई लाभ होगा।
युद्ध में किसी ना किसी की हार तो निश्चित हाेती है और यह युद्ध हानि या विनाष का कारण भी बनता है जिसकी भरपाई कई दिनों या वर्षो या सदियों में भी नहीं हो पाती।
इस तरह युद्ध में जितने वाला भी कुछ ना कुछ हारता जरूर है।
सामािजक एवं मानव कल्याण के लिए राज्यों एवं दो राष्ट्रों का युद्ध भी मानवजाति के लिए सार्वभौमिक ना होते हुए क्षेत्रिय भावना तक सिमीत होता है।
शत्रुता मानव मन का वह विकार है जो कई कष्टों का दाता बन जाता है, जिसमें महत्वपूर्ण व्यक्ति बैचेनी एवं मानसिक तनावता का आदि हो औरो का एवं साथ ही स्वयं का अहीत कर बैठता है।
शत्रुता का यह वृक्ष उसके मन के इस तरह फलीभुत होता है जो शत्रु का विनास या उसकी हानी से ही संतुष्ट होता है लेकिन ये सब भाव समाज में अपराधों में अति उत्प्रेरक का कार्य करता है इसलिए यहां यह भाव सम्पूर्ण रूप से तभी समाप्त होगा जब हम शत्रुता का ही विनाश करेंगे और इसके विनाश का महत्वपूर्ण शस्त्र क्षमा और तदोपरांत प्रेम भाव है।
यहां मानव मन को शत्रुओं के विनाश के लिए क्षमा करेंगे या शत्रुता होने पर शत्रु से क्षमा मांगेंगे।
अब यह भाव भी सबके मन को अभिमानित कर इस द्वेश्ता की समाप्ती का अवरोध है कि क्षमा आखिर मांगे कौन? या अपराधों को क्षमा करे कौन? पहल करे कौन? क्योकिं यहां अहं भाव का जन्म होता है। और यह अहं भाव तो स्वाभाविक लगभग सभी में होता है।
सामान्यत: मानव के मुख्य शत्रुओं में उसका अभिमान भी आता है तो सर्वप्रथम मनुष्य इस दोष का निवारण करें कि क्षमा करने वाला या क्षमा मांगने वाला छोटा नहीं होता उससे उसका कोई अहित नहीं होता। गलतियां तो सब से होती है बड़ा वही जो झुक जायें और किसी को क्षमा मांगने पर क्षमा दान दे दे।
इस सत्य को भी स्वीकार करें कि यदि आप क्षमा नहीं करते या क्षमा नहीं मांगते तो शत्रुता का यह रंग हमेशा अपना रंग दिखाता रहेगा जिसका रंग कभी-कभी लाल भी हो सकता है। और आपके जिवन में विष घोलता रहेगा यह एक ऐसा विष है जो धिरे-धिरे आपके या किसी अन्य के अहित का घौतक बनता है।
अत: हरेक मनुष्य समािजक व्यवस्था को सुधारे इसके लिए अति अावश्यक है कि सर्वप्रथम उसके स्वयं के ऐसे शत्रु जिनकी समाप्ति अित आवश्यक है वह है क्रोध, लालच, द्वेश्ता, स्वार्थ आदि। मनुष्य सभी को अपना मानते हुए सबसे प्रेम करें यदि भुलवश किसी से कोई गलती हो जाये तो दैविय गण को अपनाते हुए क्रोध को अपने वश में कर बिना द्वेश्ता कर अहंकार को त्याग कर बिना लालच एंव स्वार्थ भाव के क्षमा करें। शत्रु से भी प्रेम भाव रखे, प्रेम एवं क्षमा वह भाव है जो इस धरा को स्वर्ग बना सकता है, मानव मन और समाज को निर्मल करता है। माना कि आज का मनुष्य काम, क्रोध, लोभ,मोह, माया के भावों का आदि हो चुका है जो उसे भ्रमित करते है इसलिए जरूरी यह है कि वह जान ले कि यह जिवन ईश्वर द्वारा प्रदत्त वह अनमोल देन है जिसे हंसी-खुशी जियें । जितना मिला है उसी में संतुष्ट रहकर जिये।
हम यह भी आपकों नहीं कहते कि सबके लिए जियों, जियों अपने लिए, परिवार के लिए लेकिन वह जिवन प्रक्रिया किसी के अहित की बैला पर फला-फुला ना हो।
स्वार्थ सर्वे हिताय सर्वे सुखाय का घौतक बने तभी मानव जाित का उद्धार संभव है।
अत: सर्वे हिताय, सर्वे सुखाई की यह भावना ही शत्रु या शत्रुता का विनाषकारी शस्त्र है इसलिए ध्यान रखे निम्न कारणों का जिसके कारण आपका कोई शत्रु बन सकता है या आप किसी के शत्रु हो जाते है।
-अज्ञानता ।
-किसी के अच्छे या बुरे कार्यो में विघ्न उत्पन्न करना।
-प्रितस्पर्धा।
-जाने अनजाने में शारीरिक, मानसिक, आिर्थक हानी।
-सफलता से जलन।
-गलतफहमी।
-सहायता (करना या ना करना)
-धोखा देना।
-राजफास करना।
-विश्वाश को तोड़ना।
-हठधर्मिता।
-सामाजिक मान प्रतिष्ठा को ठेस पंहुचाना।
-स्वार्थी प्रवृत्ति।
-सच्चाई।
-झूठ बोलने पर।
-दया करने पर।
-चाहत पूर्ण ना होने पर।
-नर्फत करने पर।
-क्रोध करने पर।
-लालच करने पर।
-अंहकारी होने पर।
-सुन्दरता।
-किसी वस्तु एवं रूपयों का लेन-देन।
-कोई बात ना मानने पर।
-शर्त पूर्ण ना करने पर।
-वादा पूर्ण ना करने पर।
वैसे तो शत्रुता स्वाभािवक अर्थात जन्मजात एवं कृितम दो ही प्रकार की होती है यदि हम जन्मजात शत्रुता की बात करें तो यह शत्रुता हमें सांप एवं नेवलें से समझी जा सकती है तथा कृितम शत्रुता के प्रमुख कारण हम उपर बता चुके है।
जन्मजात शत्रुता को समाप्त करना मुश्किल काम है लेकिन कृतिम शत्रुता का समापन सर्वे हिताय, सर्वे सुखाय मन्त्र एवं प्रेमस्य धर्मो क्षमा के मुल मंत्र में निहीत है।
बहुत आनंद मिलता है किसी को क्षमा करके, आप भी किजिए।
SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

Sunday, 25 February 2018

मैं निशा मोहब्बत के मिटाते जब चला

ना सोचा था मेने,
अन्जाम-ए-इश्क ये होगा,,
मैं निशा, हॉ निशा,,
मोहब्बत के मिटाते जब चला।

हार कर जो तुझे,
बर्बादी का जो साथ मिला,,
आशिकी रूठ गई,,
मैं तन्हा फिर से हुआ।
मैं निशा, हॉ निशा,
हर मुलाकात के, मिटाते जब चला।
       
जिसकी जिन्दगी था कभी,,
आज उसने जमाने को,
मुझे अपना बैरी कहा,,
कसुर मैरा ही था,,
एक नादा से, इश्क जो किया।
मैं निशा, हॉ निशा,,
मोहब्बत के मिटाते जब चला।
       
सच जब जाना,,
जिन्दगी का आखिरी,,
यहां कोई, देता साथ नहीं,
एक वक्त जब,,
रह जाते है सब तन्हा,,
मैं निशा, हॉ निशा,,
हर याद के, मिटाते जब चला।

मैं यूंही तमाम उम्र वफा को,,
उसमें तलाशता रहा,,
यार जब मेरा पहले से ही
था बैवफा,,
मैं निशा, हॉ निशा,,
हर बात के,, मिटाते जब चला।

तु जख्म बस देती गई,,
ना लगाया जख्म पर मरहम कभी
मैं तड़पता रहा तु मुस्कुराती रही,,
ना दी दर्द की दवा कभी।
मैं निशा, हॉ निशा,,
मोहब्बत  के मिटाते जब चला।
मैं दूर, बहुत दूर, तुझसे,,
होते जब चला,,
मैं निशा, हॉ निशा,,
जिन्दगी के मिटाते जब चला।

तेरा साथ ही क्या,
हर रिश्ता यहां छूटता गया,,
मैं निशा, हॉ निशा,,
अपनी पहचान के मिटाते जब चला।

अपनो ने तो संभाला भी,
गैरो में कहा दम था,
यकिन तो तब टूटा,,
जब तुमने ही मिटाया,,
मैं निशा, हॉ निशा,,
मोहब्बत,, मिटाते जब चला।

मैं तन्हा ही रहा,,
जान-ए-जहां ने साथ जो छोड़ा,,
फरेब का जहर, हॉ जहर
हर पल, मैं पिता ही गया।

कभी एक जान थे,
दिल धड़कता था एक दूसरे के लिये,
तुने ही चाहा, मैं दूर हो जांउ,
जिन्दगी से तेरी,
तो फिर तेरी जिन्दगी से ही क्या,
इस दूनिया से रूकसत होने लगा,
मैं निशा, हॉ निशा,,
जिन्दगी के, मिटाते जब चला।

एक आशियां जो,
बनाया था कभी हमने,,
जब तु नहीं तो उसका होना क्या,
जो सजाई थी सेज तुने हमारी,,
आज मैं उसे जलाने जब चला,,
मैं निशा, हॉ निशा,,
मोहब्बत के मिटाते जब चला।

मैं निशानिया तुम्हे हरेक,
जब लोटाने चला,
तुमने मुंह फेर कर,
पल भर में बेरी किया,
मैं निशानियां, तुम्हारी चाहत की,
मिटाते जब चला,,

कोई याद ना करे मुझे,,
इसलिये बुरा और बुरा,,
मैं फिर से हुआ, तु जो छोड़ गई मुझे
मैं तन्हा हॉ तन्हा, फिर से हुआ।

मिटता ना था हथेली पर
जो नाम कभी,
आज मेंहदी उस पर
किसी और की सजी,,
तुभी निशा, हॉ निशा,
मिटाती जब चली।

मना लेना खूशिया जितनी है मनानी,,
लोटकर अब मैं कभी,
आउंगा ना नही,,
मैं निशा, हॉ निशा,,
हर बात के, मिटाते जब चला।

फिर जलाके सब मुझे
अपने घर को चले,,
आज मैं, दर्द की दूनिया को,
तेरी खूशि के लिए जब छोड़ चला,,
मैं निशा, हॉ निशा,,
खूद ही के,, मिटाते जब चला।

मेरी मोत पर,,मातम ना मनाना,,
ना बहाना अश्क कभी,,
तुने जो चाहा तुझे मिला,,
मैं दूनिया ये दूनिया तेरी छोड़ चला,,
मैं निशा, हॉ निशा,,
मोहब्बत के,, मिटाते जब चला।     
      
SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

Thursday, 22 February 2018

जब किसी से प्यार हो जाता है,,,

ढलती नहीं शामे,
गुजरते नहीं दिन,
लंबी हो जाती है राते,
जब किसी से
प्यार हो जाता है,,
आंखें भर आती है,
दर्द बड़ जाता है,,
जब कोई अपना,
तन्हा छोड़ जाता है,,,
हर वक्त ख्वाबों मे
गुजर जाता है,
खयाल ये राेज हो जाता है,,
हर चहरा,
उसके जैसा नजर आता है,,
जब किसी से
प्यार हो जाता है,,,   


SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

दुवा करना ऐसी

तु भी खुदा से दुवा करना ऐसी,,,
होंगे जुदा ना फिर हम कभी,,,
प्यार तुझी से तुझको भी मुझसे,,
इस प्यार को सदा रखना ऐसे ही,,
कोई हो गिला तो बात करना,,,
कोई हो खता तो माफ करना,,,
थामा है हाथ मेरा तो संग उम्रभर चलना,,,
बदले ये जमाना पर तु ना कभी बदलना,
चाहा है तुझको चाहत से ज्यादा,,
रब से दुवा है सलामत रहे,
अपनी ये दूनियाँ


SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

Monday, 19 February 2018

प्यार

प्यार वो हसीन अहसास है,
जो सबके लिए खाश है,,,
और ये एक ना एक बार
सबको होता है,,,
और जिसकाे भी होता है,
वो किस्मत वाला होता है,
और ये जब हो जाता है तो,
जीवन का हर लम्हा,
यादगार बन जाता है,,
इस प्यार में कभी खुशी है,
तो कभी गम है,,,
गम अपने प्यार को,
तकलीफ में पाकर,,,,
और खुशी अपने प्यार को,
खुश देखकर,,,
प्यार कभी दर्द नहीं देता,
दर्द देेने वाला तो कभी,
प्यार को समझता ही नहीं,,,
और जो प्यार का समझता है,
वो कभी किसी को
धाेखा नहीं देता,,,
अपने प्यार को समझें,
वो जब रूठ जाएँ तो उसे मना ले,
गलती ना हो तब भी
माफी मांग ले,,
और खुद भी, माफी मंगवाने का
इंताजार ना करे,
ऐसे ही मान जाएं,,,
यही तो प्यार है,,,
जो तन्हाईयों में भी
तन्हा ना होने देता,,,
इस प्यार को प्यार ही रहने दे,
खेल ना बनने दे,,
प्यार आपका सलामत रहे,
दुवा है दिल से,,,


SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

Saturday, 17 February 2018

इश्क़ किया है, गुनेहगार हॅू मैं

सांस लेता हॅूं,
पर जिन्दा नहीं हॅू मैं
इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

हर पल रोंउ पल-पल मैं तड़पू,
रातभर ना सो संकु,
जख्म सारे सड़ जाये।

खून के आंशू, फिर बहे,
जख्म सारे सड़ जाए,
जिन्दगी गमों से तरबतर कर दे।

दर्द के समन्दर में
चाहे फिर फेंक दे,

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

कुछ ऐसा कर दे,
हद से ज्यादा पागल कर दे। 

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

बै-पनहा मोहब्बत की,
मेरी वफा की सख्त सजा दे,

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

दर्द ताउम्र पाऊं
कुछ ऐसा करम कर दे,

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

पल-पल जियूं में मर-मर के।
ऐसी कोई सजा कर दे।

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

गुनाह किया है तो सजा दे,,
ऐ खुदा रहम तु ना करना,
सजा दे थोड़ी और सख्त सजा दे।

सांस लेता हॅूं,
पर जिन्दा नहीं हॅू मैं

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।


SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

मैं जिते जी मर जाऊंगा

जब तक तुम पास रहोगी,,
हर पल खूशियों भरा होगा।
और गर तुम दूर हो
जाओगी मुझसे,
मैं तड़पता रह जाउंगा।
जब तुम याद ना करोगी मुझे,
मैँ तुम्हारी यादों में आकर,
मैं उन यादों में मील जाऊंगा।
जब तुम खुश रहोगी,
मैं उस खूशि से जी जाउंगा।
जब तुम सांस लोगी,
मैं सांसो मे उतर जाउंगा।
जब तुम आओगी पास मेरे,
मैं मर कर भी जी जाउंगा।
और एक बात हमेशा
तुम याद रखना,
जब तुम भूूल जाओगी मुझे,
मैं जिते जी मर जाउंगा।


SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

Friday, 16 February 2018

सब कुछ बदला-बदला सा है

जिसे देखकर कभी चेन मिलता था,,,
जिसके आने से माहोल बदलता था,,,
जिसके इन्तजार में पल-पल बिता था
जिसके इश्क में सबकों भुला था,,
जिसके साथ ताउम्र जिना था,
जिसके बारे में हर पल सोचा था,,
जिसके सिवा कोई दुजा ना था,,
जिसके प्यार में ये वीर फना था,,
जिसके साथ कुछ कदम चलना था
लेकिन अब जिसका अन्दाज ना बदला था,,
आज यहां सब कुछ बदला-बदला सा है,,
अब, ना इन्तजार है उसके आने का,,
ना देखने की चाहत, और ना ही
ता-उम्र साथ जिने की तमन्ना।

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

Wednesday, 14 February 2018

दिल का काम

दिल का है बस एक ही काम,
ये ना सुबह देखे ना शाम,,,

तेरी मासूमियत पर ये फिदा,,
कर दे अपनी धड़कन फना,,

तुझको याद ये करता रहता,
तुझको ही ये हर पल जिता,,,

तेरी यादों को ये पीता,,,
लेता रहता तेरा ही नाम,,,

दिल का है सब एक ही काम,,
ना सुबह देखे ना देखे शाम,,,

धड़कना इसका काम है,,
पर पहले लेता तेरा नाम,,,

िनंदीयां ये उड़ाता,,
कभी ये हंसता कभी ये रोता,,
हर नशा करके देखा,
पर इसेपे तो तेरा नशा ना उतरता,,,

तेरे खयालों में ही खाेया रहता,,,
नशा ऐसा कुछ होश ना रहता,,

देख के तुझको सुकुन ये पाता,,
दूिरयां पलभर की सह नही पाता,,

तेरी खूिशयों से ये मुस्कुराता,,
तेरे दर्द से ये रोता,,

तेरे सिवा कुछ और ना चाहता,,
सिर्फ तुझसे ये प्यार करता,,,

दिल का है बस एक ही काम,,,
ना सुबह देखे ना देखे शाम,,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

हसरत मेरी,,,

लबों से लगा लु,
है हसरत मेरी,
चुरा लु तुझको तुझी से,
ये चाहत मेरी,

तुझी से िजना,
तुझी पे फना,
जाओं ना कही,
रहो पास यंहीं,

गुनाह हो तो मुझको
तु मांफ करना,
मोब्बत की दूिनयां में,
सबकुछ सही,

नजर पे नजर है,
सबकी नजर यहीं,
कुछ ना कहो,
सब प्यासे दिवाने यहीं,

मिलन की चाहत
मिली खुशी तु ही,
दर्द भी तुझसे
हर दवा भी तु ही,

तुझमें सना है,
दिल-ऐ-वीर कही,
रंगो से रंगीन है,
तुझसे मिलन ही,

कहे कुछ भी,
ये जमाना भले ही,
दिवाना तेरा है,
कहे सब पागल भले ही,

जिधर मैं दूेखूं,
तेरी सुुरत वही,
तुझ बिन जिना,
मुझे एक पल नहीं,

तुझसे मिलकर,
मिटे सारे गिले शिकवे,
सांसो से सांस मिलकर,
जब ये इश्क पिघले,

लबों से लगा लु,
है हसरत मेरी,
चुरा लु तुझको तुझी से,
ये चाहत मेरी,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

एक पल मेरी बन जाओं,

अपने होश खो कर,
एक पल मेरी बन जाओं,
भुलकर सारी दूनिया को,
मेरे सिने से लग जाओं,
अगला जन्म नहीं चािहए,
मुझे बाहों में भर लो,
आज ही तुम
मुझमें बिखर जाओं,
दिल ए अरमा
ना रोके जाते,
अब तो मेरे पास
आ जाओं,
और ना तड़पाओं,
आकर मेरे सिने से
लग जाओं,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

किसी रोज,

किसी रोज, तुम्हारी यादों में
कीसी रोज , तुम्हारी राहो में,
किसी रोज , तुम्हारी अदाओं में
किसी रोज, तुम्हारी सांसो में
किसी रोज, तुम्हारी धड़कन मंे
किसी रोज, तुम्हारी बांहो में,
किसी रोज, तुम्हारी जिन्दगी में,
किसी रोज, तुम्हारी ख्वाहिशों मेें,
किसी रोज, तुम्हारी तन्हाईयों में,,
किसी रोज, तुम्हारी खामोिशयों में,
मैं और सिर्फ में ही,,, 
 
SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

वादा करते है

जब तक जियेंगेे,
सिर्फ आपके रहेगें,,
ताउम्र आपकों चाहेंगे,
वादा करते है,,,

जब-जब याद करोगें
और आप बुलाओगें,,
हम जरूर मिलने आएगें,
वादा करते है,,,

रश्म इश्क की,
सब निभाएगें,,,
आपका हमेशा साथ देगें,
वादा करते है,,

चाहे बदले दूिनयां
हम नहीं बदलेगें,
हर राह पर हम होगें
वादा करते है,,

हर वो चाहत जो
हम पूरी कर सकते है,,
जरूर पूरी करेगें,,
वादा करते है,,,

हर खुशी, हर गम में,
अाप हमें पाएगें,
आपके सारे दर्द हम लेगें,
वादा करते है,,,

आपसे गलती भी,
होगी तो भी,
मांफी नहीं चाहगें ,
वादा करते है,,,

आपकी हर खूशी के लिए,
अपनी खूिशयां को भी,,
कुर्बान कर देगें,,,
वादा करते है,,,

आपकी हर वो बात मानेगें,
जो हमारे लिए भली है,,
कभी नाराज ना होगें,,
वादा करते है,,,

आप जो बोलोगें,
सही बोलोगे,,
आपकी हर बात मानेगें,
वादा करते है,,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

Friday, 9 February 2018

रूठे यार मनाऊं कैसे,,,

उड़ती चिठ्‌ठीयां चाहतो की,
तुझ तक पहंचाऊं कैसे,,,

बिना वजह है तु रूठा,
रूठे यार को रब्बा मानऊं कैसे,,,

गमों के बादल, यादे बैरहम है,,
टुकड़े दिल के छुपाऊं कैसे,,,

तु नहीं तो मैं कुछ भी नहीं,
इश्क की हद समझाऊं कैसे,,,

बातें सताती है, यादें रूलाती है,
दर्द-ए-दिल रब्बा छुपाऊं कैसे,,,

जिन्दगी है तु, मेरी दूनियां तुझसे,
बिखरे ख्वाबों को सजाऊं कैसे,

वक्त बिता यादें हुई धुंधली है,
मिटती यादों को संवारू कैसे,,,

लब्ज जो दिल की अावाज रहे,
प्यार की वो पाती जलाऊं कैसे,,,

दूर जो तु हुई हर पल के आंशु है,
जुदाई की तन्हा रातें बिताऊं कैसे,,

अरमानों के भाव तु ही पढ़े,,
उम्मीद के शब्द पंहुचाऊं कैसे,,,

यकिन तुझे नहीं वादे तुने भुले,
इश्क सिर्फ तुझसे समझाऊं कैसे,,

तड़पती शामें है, बिते नहीं दिन,
जख्म दिल के सबसे छुपाऊं कैसे,,

ये वीर तेरे खयालों में जीता है,,
टुटे दिल के नखरे उठाऊं कैसेे,,,

रूठे यार को रब्बा मानऊं कैसे,,,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

Thursday, 8 February 2018

मैं रहूं तेरे दिल में यूंहीं,,,

मैं रहूं तेरे दिल में  यूंहीं,,,
तु रहे मुझमें बाकी कहीं,,,

उम्र यूंही कट जायें,,,
ना तु तन्हा रहे ना मैं तुझे भूलूँ कभी,,,

पायन की छन-छन हो,,
या हो तेरी आवाज का लब्ज़  कहीं,,,

तेरी बंहों की डैर हो,,,
छूट ना पाये ऐसा बांधो कभी,,,

मेरा खुदा तो तु ही है,,
करूं इबादत, करूं सज़दा कभी,,,

हर चाहत पे तेरी,,,
अपनी हर चाहत कर्बान करूं,,,

जब तु याद करे,
तेरा हर खयाल मैं बन जाऊँ,,,

तु रहे मुझमें शामील कहीं,,
अहसास हर पल महसुस हो कही,

दिल की दूनिया से जान,,
दूर ना जाना कहीं,,,

रित प्रित की,
निभाकर कह देना जान है तु मेरी,,

कर दे वक्त हमें जूदा कभी,,,
आ जाना मिलने बैवजह कहीं,,,

मैं रहूं तेरे दिल में  यूंहीं,,,
तु रहे मुझमें बाकी कहीं,,,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

प्यार जो सबको होता है,,,

प्यार वो हसीन अहसास है,,,
जो कभी हँसाता है,,,
कभी रूलाता है,,,
तन्हाईयों में भी
तन्हा ना होता,,,
ख्वाबों को,
जो हकीकत में जीता है,,,
प्यार के लिए
जो कुछ भी करता है,,,
ये वहीं इश्क है,
जो सबको होता है,,,
इश्क करें,
पर किसी का दिल ना तोड़े,,,
प्यार का गुलाब महकने दे,
वादा करे तो निभायें,,,,
विश्वास करें,
तो धाेखा ना दे,,,
क्योंकि मौत,
एक बार मारती है,,
पर बैवफाई हर पल,,,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

Monday, 5 February 2018

नैनन मोरे, हर पल राेये,

नैनन मोरे हर पल रोए,,,,
तेरे इन्तजार में जागे ना सोये,,,

टक-टक अखियां राह निहारे,,,
तेरे ख्याल मेंं जागे ना सोये,,,
   
बैबस बरसे नेनन मोरे,,,
तन-मन भिगोये हर पल रोए,,,
 
सांझ ढले और रात है आई,,,
तन्हा दिल की लम्बी जुदाई,,,
   
पल-पल बिते दिन भी है गुजरे,,,
माह-मौषम अब है सदियों से,,

कई रातों से निन्द नहीं है,,,,
चेन का भी कोई पता नही है,,,
   
दिल भी तड़पे विरे हाल बुरा है,,,
अब तो तु आ, आ के सुला जा,,,

दिल लगाने की ये कैसी सजा है,,,
मुझे माॅफ करे दे जो भी खता है,,

यादे रूलाये कैसे कहूं में,
तेरा जो अब दिदार नहीं है,,,

इन पलों में तु जो नहीं है,,,
सब कुछ है बस तेरी कमी है,,,,

इश्क तुझे भी है फिर क्यों चाही,,
दर्द की ये लम्बी जुदाई,,,

बैवजह तु रूठा है,,
बस तुझे चाहा क्या ये गुनाह है,,

रिश्तों के मोती बिखरने से पहले,
सब्र का इस बार टुटने से पहले

दिल-ए-दर्द  हर पल रहता है,,
अब तो तु आ जा सजना मोरे,,

नैनन मोरे हर पल रोए,,,,
तेरे इन्तजार में जागे ना सोये,,,,

SCK Suryodaya 
Reporter & Social Activist

sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

तेरी मुस्कुराहट की सौगात दे जा

अपनी खूशियों से मतलब नहीं है,
तेरी मुस्कुराहट की सौगात दे जा,,

तेरे तन को छूने की तमन्ना नहीं है,
मन से मिलन का एहसास दे जा,,

ना पास आओं जाओं दूर कितना ही,
मोत को अपना लू इजाजत दे जा,

तुम्हे याद नहीं हम भूले नहीं है,
यादे मिट जाये कुछ ऐसा कर जा,

इस जिन्दगी से कोई शिकवा नहीं है,
जा तो रही है तु दुआए-मोत कर जा,

मुलाकातों मे होने का एहसास दे जा,
बैवफा तो है तु दर्द-ए-इश्क दे जा,

गैर की बाहों में जाने से पहले,
ऐ जान मोत के मंजर कर जा,,

तेरे बिन जीने का कभी सोचा नहीं,
कुछ इश्क की और सजा दे जा,,

अपनी खूशियों से मतलब नहीं है,
तेरी मुस्कुराहट की सौगात दे जा,,
              
SCK Suryodaya 
Reporter & Social Activist

sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

Sunday, 4 February 2018

बिते लम्हें

आज भी मुझे याद है,
वो दिन जब तुमने,
मुझे अपना सब कुछ मानकर,
अपने दिल की सारी बातों को
मुझसे बैहिचक कह दिया।                
तुमने मुझ पर विश्वास किया,
पर अचानक उस विश्वास को,
तुमने ही बचने ना दिया।
और बस सब खत्म कर दिया।
अब बस बाते है,,
बिते लम्हों की यादें है

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist

sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

तरसे मिलन को मोरा जिया

तरसे मिलन को मोरा जिया,,
पास पिया तु आये ना,,,
दिल में मेरे आग लगी है,,,
बेरी पिया तु समझे ना,,,
भिगे हुए है मोरे नैना,,,
बात जिया की क्यों जाने ना,,,,
देखूं तुझको, बस तुझको,,,
लम्हा ऐस क्यों बनता ना,,,
आ जाओं सजन,,,
अब तो मिलने,,
जूदा तुमसे एक पल,
रहा जाता ना,,,
सजदा तेरा, मैं तो किया,,,
दूसरा खुदा मुझे मिला ना,,,
पिया तेरा प्यार ही चाहूं,,,
और कुछ भी चाहूं ना,,,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist

sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

जब जब तेरा खयाल आता है,,,

जब-जब तेरा खयाल आता है,,,
मेरा वो हर लम्हा मुस्कुराता है,,,

जब-जब तेरा खयाल आता है,,,
तु अपना बनाकर चला जाता है,,,

जब-जब तेरा खयाल आता है,,,
बैचेन मेरा दिल सुकन पाता है,,,

जब-जब तेरा खयाल आता है,,,
हर मोषम खुशनुमा हो जाता है,,,

जब-जब तेरा खयाल आता है,,,
तेरा प्यारा चहरा नजर आता है,,,

जब-जब तेरा खयाल आता है,,,
तुझसे प्यार और हो जाता है,,,

जब-जब तेरा खयाल आता है,,,
तन्हा सफर यूंही गुजर जाता है,,,

जब-जब तेरा खयाल आता है,,,         
वीर बस तुझमें खो जाता है,,,     

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist

sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

Thursday, 1 February 2018

नसीब है ये मेरा जो तुम्हे पाया नहीं

नसीब है ये मेरा जो तुम्हे पाया नहीं,,, 
वक्त जो ठहरा, क्यों ये बिते नहीं,,, 
ख्वाब जो टूटे, हकीकत से परे, 
वफाये जो तेरी मूझसे नहीं,,, 
नादा, चाहत से क्यो उम्मीद लगाई,,, 
जो थी ही नहीं मेरी, 
ऐसे क्यों जन्नत बनाई,,, 
खता क्या जो मुझसे हुई, 
जो तुम रूठ गई,,, 
अभी भी यादे तेरी, 
और मुलाकाते रूसवा हुई,,, 
मिली है रूसवाई तेरी, 
जिन्दगी के गम है बाकी,,, 
ना हंसी है, ना खूशि है, 
बै-बस सी जिन्दगी मेरी,,, 
खूशनसीब है वो जिसे तु मिली,,, 
मुझे तेरी नफरत तेरी बैवफाई ही सही,,,
नसीब है ये मेरा जो तुम्हे पाया नहीं,,, 

SCK Suryodaya 
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com
Cell: 7771848222
www.angelpari.com
RV Suryodaya Production

मीठी सी खुशी

एक सुहानी शाम सबसे अंजान, अधीर मन में सिर्फ़ तेरा इंतज़ार। तेरे लब की मीठी सी खुशी देना, आकार मेरे पास फिर ना जाना। बिखरकर ब...