Friday, 9 February 2018

रूठे यार मनाऊं कैसे,,,

उड़ती चिठ्‌ठीयां चाहतो की,
तुझ तक पहंचाऊं कैसे,,,

बिना वजह है तु रूठा,
रूठे यार को रब्बा मानऊं कैसे,,,

गमों के बादल, यादे बैरहम है,,
टुकड़े दिल के छुपाऊं कैसे,,,

तु नहीं तो मैं कुछ भी नहीं,
इश्क की हद समझाऊं कैसे,,,

बातें सताती है, यादें रूलाती है,
दर्द-ए-दिल रब्बा छुपाऊं कैसे,,,

जिन्दगी है तु, मेरी दूनियां तुझसे,
बिखरे ख्वाबों को सजाऊं कैसे,

वक्त बिता यादें हुई धुंधली है,
मिटती यादों को संवारू कैसे,,,

लब्ज जो दिल की अावाज रहे,
प्यार की वो पाती जलाऊं कैसे,,,

दूर जो तु हुई हर पल के आंशु है,
जुदाई की तन्हा रातें बिताऊं कैसे,,

अरमानों के भाव तु ही पढ़े,,
उम्मीद के शब्द पंहुचाऊं कैसे,,,

यकिन तुझे नहीं वादे तुने भुले,
इश्क सिर्फ तुझसे समझाऊं कैसे,,

तड़पती शामें है, बिते नहीं दिन,
जख्म दिल के सबसे छुपाऊं कैसे,,

ये वीर तेरे खयालों में जीता है,,
टुटे दिल के नखरे उठाऊं कैसेे,,,

रूठे यार को रब्बा मानऊं कैसे,,,

SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

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