Saturday, 17 February 2018

इश्क़ किया है, गुनेहगार हॅू मैं

सांस लेता हॅूं,
पर जिन्दा नहीं हॅू मैं
इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

हर पल रोंउ पल-पल मैं तड़पू,
रातभर ना सो संकु,
जख्म सारे सड़ जाये।

खून के आंशू, फिर बहे,
जख्म सारे सड़ जाए,
जिन्दगी गमों से तरबतर कर दे।

दर्द के समन्दर में
चाहे फिर फेंक दे,

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

कुछ ऐसा कर दे,
हद से ज्यादा पागल कर दे। 

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

बै-पनहा मोहब्बत की,
मेरी वफा की सख्त सजा दे,

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

दर्द ताउम्र पाऊं
कुछ ऐसा करम कर दे,

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

पल-पल जियूं में मर-मर के।
ऐसी कोई सजा कर दे।

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।

गुनाह किया है तो सजा दे,,
ऐ खुदा रहम तु ना करना,
सजा दे थोड़ी और सख्त सजा दे।

सांस लेता हॅूं,
पर जिन्दा नहीं हॅू मैं

इश्क़ किया है गुनेहगार हॅू मैं।


SCK Suryodaya
Reporter & Social Activist
sck.suryodaya@gmail.com

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